BPL Card Cancellation Haryana : हरियाणा में गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन जीने वाले लोगों के राशन कार्डों की कटौती को लेकर गंभीर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान लाखों नए बीपीएल कार्ड जारी किए गए, लेकिन अब बड़ी संख्या में उन्हें रद्द किया जा रहा है।
विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने चुनावी फायदे के लिए लोगों को BPL कार्ड बांटे, ताकि वोट बैंक साधा जा सके। लेकिन अब जब चुनाव बीत गए हैं, तो सरकार ने उन कार्डों को एक-एक कर रद्द करना शुरू कर दिया, भले ही वे कार्ड वास्तव में पात्र लाभार्थियों के हों।
विपक्ष का आरोप: हकदारों के कार्ड भी काटे जा रहे
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा, इनेलो अध्यक्ष अभय चौटाला और जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला ने सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि BPL कार्ड बनाने और अब हटाने की यह प्रक्रिया पूर्णतः राजनीति से प्रेरित है।
नेताओं का कहना है कि,
“चुनाव के समय वोटरों को लुभाने के लिए जल्दबाज़ी में गलत तरीके से बीपीएल कार्ड बनाए गए। अब उन्हीं कार्डों को रद्द किया जा रहा है, जिसमें सच्चे गरीब और जरूरतमंद लोग शामिल हैं। इससे लाखों परिवारों को सरकारी योजनाओं से बाहर कर दिया गया है।”
विपक्ष ने इसे ‘BPL कार्ड घोटाला’ बताते हुए चुनाव आयोग से जांच की मांग की है।
आंकड़ों में खुलासा: फरीदाबाद सबसे ज्यादा प्रभावित
हरियाणा सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, फरीदाबाद जिले में सबसे अधिक 20,266 बीपीएल कार्ड रद्द किए गए हैं। इसके बाद अन्य जिलों में भी बड़ी संख्या में नाम हटाए गए हैं:
- पानीपत – 15,502 कार्ड रद्द
- करनाल – 15,059 कार्ड रद्द
- अंबाला – 14,501 कार्ड रद्द
- गुरुग्राम – 14,301 कार्ड रद्द
- सोनीपत – 12,498 कार्ड रद्द
- यमुनानगर – 10,964 कार्ड रद्द
- कुरुक्षेत्र – 10,278 कार्ड रद्द
वहीं कुछ जिलों में कम संख्या में कार्ड हटाए गए, जैसे कि:
- चरखी दादरी – केवल 1,568 कार्ड रद्द
- पंचकूला – 2,785
- नूंह – 2,604
- महेंद्रगढ़ – 2,768
इस कटौती से प्रदेशभर के लाखों परिवार प्रभावित हुए हैं।
बीपीएल कार्डों की संख्या में जबरदस्त उछाल, अब गिरावट
विपक्ष ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया है कि चुनाव से ठीक पहले BPL कार्डों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि की गई।
- चुनाव पूर्व बीपीएल कार्डों की संख्या थी: 27 लाख
- लोकसभा चुनाव तक बढ़ाकर किया गया: 45 लाख
- विधानसभा चुनाव तक पहुँचा: 51.09 लाख
अब जब चुनाव खत्म हो चुके हैं, तो इन कार्डों को धीरे-धीरे रद्द किया जा रहा है, जिससे यह अंदेशा पैदा हुआ है कि यह सब एक सोची-समझी चुनावी रणनीति का हिस्सा था।
भाजपा का पलटवार: अपात्रों के कार्ड हटे, हकदारों को नुकसान नहीं
विपक्ष के आरोपों पर हरियाणा भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडौली ने सफाई दी और आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि,
“यह दावा गलत है कि पात्र लोगों के बीपीएल कार्ड काटे गए। असल में कई लोगों ने परिवार पहचान पत्र में अपनी आय को जानबूझकर कम दिखाया, ताकि उन्हें बीपीएल योजना का लाभ मिल सके।”
उन्होंने आगे कहा कि,
“सरकार ने सही तरीके से सर्वे कराया, और जिनके पास कार, कोठी, पक्के मकान, या बड़ी आय थी, उनके कार्ड हटाए गए हैं। इससे वास्तव में गरीब और जरूरतमंद लोगों को ही लाभ मिल सकेगा।”
भाजपा की ओर से यह भी कहा गया कि अगर किसी पात्र व्यक्ति का कार्ड गलती से रद्द हुआ है, तो उसकी समीक्षा जिला स्तर पर की जा रही है और उसमें सुधार किया जाएगा।
अब क्या है आगे की राह?
यह मुद्दा केवल बीपीएल कार्ड की वैधता का नहीं है, बल्कि इससे जुड़ा है गरीबों का हक, राजनीतिक पारदर्शिता और प्रशासनिक विश्वसनीयता।
विपक्ष जहां इसे चुनावी धांधली और गरीबों के साथ धोखा बता रहा है, वहीं सरकार इसे नियमों और पात्रता पर आधारित कार्रवाई मान रही है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए संभव है कि आने वाले समय में यह मुद्दा चुनाव आयोग, न्यायालय या विधानसभा में भी गूंज सकता है।