आपने अक्सर देखा होगा कि सड़क पर चलने वाले वाहन जैसे कार, बाइक, बस या ट्रक में रबड़ के पहिये होते हैं यहां तक कि विमानों के पहियों में भी रबड़ होता है। लेकिन जब बात ट्रेन की आती है तो उसके पहिये लोहे के होते हैं। इसके पीछे का कारण बहुत ही रोचक है और यह हमारे फ्रिक्शन की समझ पर आधारित है।
फ्रिक्शन और गति की विशेषताएं
ट्रेनों के पहिये इसलिए लोहे के होते हैं क्योंकि ट्रेन बहुत लंबी दूरियाँ तय करती हैं और उनकी गति भी काफी तेज होती है। अगर ट्रेन के पहियों में रबड़ का इस्तेमाल किया जाता तो इससे अधिक फ्रिक्शन पैदा होगा जिससे ट्रेन की गति कम हो जाएगी और ऊर्जा की खपत अधिक होगी। इसके अलावा रबड़ तेजी से घिस जाएगा जिससे उसकी मरम्मत और बदलने का काम लगातार करना पड़ेगा जो कि सस्ता नहीं होगा।
लोहे के पहियों के फायदे
लोहे के पहिये न केवल टिकाऊ होते हैं बल्कि वे भारी भार को उठाने में सक्षम होते हैं और हाई स्पीड पर स्थिरता प्रदान करते हैं। रबड़ के पहिये इसके विपरीत हाई स्पीड और भारी भार के तहत तेजी से खराब हो जाते हैं और अधिक मेंटेनेंस की मांग करते हैं।
युजर्स की प्रतिक्रिया और सुरक्षा चिंताएं
सोशल मीडिया और विभिन्न फोरम पर लोगों ने इस विषय पर खूब चर्चा की है। अधिकांश लोग मानते हैं कि रबड़ के पहियों का इस्तेमाल ट्रेनों में न केवल तकनीकी रूप से अव्यावहारिक है बल्कि यह सुरक्षा जोखिमों को भी बढ़ावा देगा। रबड़ के पहिये आसानी से फट सकते हैं और पटरियों पर ठीक से कार्य नहीं कर सकते जिससे दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।