हरियाणा में इस वर्ष मानसून ने अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन किया है, जिसके कारण राज्य भर में उमस और गर्मी में वृद्धि हुई है। 1 जून से 15 जुलाई के दौरान हरियाणा में कुल 80.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई जो कि सामान्य रूप से दर्ज 123.3 मिलीमीटर से 35% कम है। इस कमी ने न केवल कृषि क्षेत्र पर असर डाला है बल्कि आम जनजीवन पर भी प्रभाव पड़ा है।
विभिन्न जिलों में बारिश की स्थिति
फतेहाबाद, नूंह मेवात, सिरसा, और महेंद्रगढ़ जैसे कुछ जिलों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है, जबकि अधिकांश जिलों में बारिश की कमी बनी हुई है। विशेष रूप से पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर सहित 18 जिलों में मानसून की गतिविधियां सामान्य से कम दर्ज की गई हैं।
मानसून की वापसी की संभावना
मौसम विशेषज्ञ डॉ. चंद्र मोहन के अनुसार, बंगाल की खाड़ी से उठने वाली मानसूनी हवाएं वर्तमान में कमजोर पड़ी हुई हैं, जिससे हरियाणा में मानसूनी गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। तथापि, जल्द ही बंगाल की खाड़ी पर एक कम दबाव का क्षेत्र विकसित होने की संभावना है, जिससे मानसून में सक्रियता बढ़ने की उम्मीद है। यह सक्रियता 17 से 25 जुलाई के बीच हरियाणा एनसीआर और दिल्ली में मानसून की वापसी में मददगार सिद्ध हो सकती है।
आने वाले दिनों में मौसम का हाल
आगामी सप्ताह में विशेषकर हरियाणा के दक्षिणी और पूर्वी जिलों में हल्की बिखराव वाली बारिश की संभावना है। इससे उमस भरी गर्मी से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है, हालांकि स्थायी समाधान के लिए मानसून की तीव्रता में बढ़ोतरी जरूरी है।