Haryana me Barish: भारत में मौसम की अप्रत्याशितता ने हमेशा किसानों और सामान्य जन के दैनिक जीवन में प्रभाव डाला है. वर्तमान समय में जहाँ एक ओर भादो माह के दौरान सावन की तरह झमाझम बारिश की उम्मीद की जाती है. वहीं कुछ क्षेत्रों में मानसून कम सक्रिय (less active monsoon) देखा जा रहा है. मौसम विज्ञानियों का मानना है कि 12 सितंबर के बाद मानसून फिर से सक्रिय होगा. जिसके चलते भारी बारिश की आशंका है.
किसानों पर मौसम का असर
खासकर किसानों के लिए यह बारिश फसलों के लिहाज से वरदान साबित हो सकती है. वर्षा के ये पैटर्न (rainfall patterns) न केवल उनकी मौजूदा फसलों के लिए महत्वपूर्ण हैं. बल्कि आने वाले रबी सीजन की तैयारियों में भी मददगार होते हैं. हल्की और मध्यम बारिश फसलों के लिए आवश्यक है और इससे भूमि में नमी बनी रहती है जो फसलों के बेहतर विकास के लिए जरूरी है.
मौसम का शहरी जीवन पर प्रभाव
शहरी क्षेत्रों में, विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR weather conditions) जैसे इलाकों में अत्यधिक वर्षा या अनुपातहीन मौसमी घटनाएं जैसे कि येलो अलर्ट दैनिक जीवन में व्यवधान पैदा करती हैं. भारी बारिश के कारण आमतौर पर जलभराव (water logging issues) और यातायात में बाधा होती है. जिससे दैनिक क्रियाकलापों में अनिश्चितता और असुविधा होती है. इसके अलावा इस तरह के मौसमी बदलाव स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी जन्म देते हैं, जैसे कि सांस से जुड़ी दिक्कतें और वायरल फीवर.
आने वाले दिनों में मौसम की संभावनाएं
अगले तीन दिनों के लिए मौसम विज्ञानियों का अनुमान है कि मानसून कम सक्रिय रहेगा. लेकिन 12 सितंबर के बाद से मानसूनी गतिविधियां फिर से बढ़ेंगी. इस समयावधि के दौरान गुरुग्राम, मेवात, पलवल और फरीदाबाद में भारी बारिश की संभावना है. जिससे येलो अलर्ट जारी किया गया है. इस बारिश का असर सीधे तौर पर कृषि क्षेत्र और शहरी नियोजन पर पड़ेगा. जिससे सम्बंधित व्यवस्थाओं को पहले से अधिक सजग और तैयार रहने की आवश्यकता होती है.