Haryana Rain Alert: आने वाले सप्ताह में हरियाणा में मानसून की रफ्तार में तेजी आने की संभावना है. जिसका मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ का सक्रिय होना और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमीं युक्त हवाएं (monsoon winds) हैं. इस बदलाव से क्षेत्र में वर्षा की गतिविधियां तेज होने की उम्मीद है. जुलाई का सूखा माह होने के बाद अगस्त में भी सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई थी और सितंबर में भी इसी प्रकार की प्रवृत्ति जारी रहने की आशा है.
मानसून के सक्रिय होने के कारण
मौसम विज्ञानी डॉक्टर चंद्र मोहन के अनुसार आंध्र प्रदेश में बने डिप्रेशन क्षेत्र (depression area) का उत्तर पश्चिम दिशा की ओर खिसकना और मध्य प्रदेश होते हुए राजस्थान में प्रवेश करना. इस मौसमी बदलाव का मुख्य कारण है. बंगाल की खाड़ी से नमीं युक्त हवाएं इस क्षेत्र की ओर आकर्षित हो रही हैं. जिससे हरियाणा में वर्षा की स्थिति में सुधार होगा. यह मानसूनी हवाओं के फिर से सक्रिय होने की प्रमुख वजह बताई गई है.
वर्षा की गतिविधियों में वृद्धि
2 सितंबर की रात्रि से पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से उत्तरी राजस्थान पर एक कम दबाव का क्षेत्र (low pressure area) बनने की संभावना है. इसके अलावा अरब सागर पर बने चक्रवाती तूफान के 24 से 48 घंटे में ठंडा पड़ जाने से भी मानसून की ट्रफ रेखा हरियाणा-एनसीआर (Haryana-NCR region) में दिल्ली पर फिर से स्थापित हो जाएगी. ये सभी मौसमी घटक मिलकर राज्य में बारिश की गतिविधियों में इजाफा करेंगे.
आने वाले दिनों में मौसम का पूर्वानुमान
अगले कुछ दिनों में हरियाणा के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश की संभावना है. मौसम विभाग ने 3 से 8 सितंबर तक के लिए भारी बारिश (heavy rainfall) की चेतावनी जारी की है. जिससे किसानों और स्थानीय निवासियों को अपनी योजनाएँ इसी के अनुसार बनाने की सलाह दी गई है. विशेष रूप से खेती-किसानी में लगे लोगों को इस दौरान अपनी फसलों की देखभाल के लिए विशेष उपाय करने की आवश्यकता होगी.
कृषि और जलभराव पर प्रभाव
भारी बारिश के कारण क्षेत्र में जलभराव की स्थितियां बन सकती हैं. जिससे सड़कों और निचले इलाकों में पानी जमा होने की समस्या उत्पन्न हो सकती है. कृषि क्षेत्र (agriculture sector) पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है. खासकर उन फसलों पर जिन्हें अत्यधिक वर्षा से हानि पहुंच सकती है. किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने खेतों की नालियों की सफाई और अन्य जल निकासी व्यवस्थाओं को ठीक कर लें, ताकि फसलों को बचाया जा सके.














