Temple Is Made Of Ghee: भारतीय मंदिरों का निर्माण सदैव ही अनोखी शैलियों और परंपराओं का पालन करता है. राजस्थान के भांडासर मंदिर का निर्माण एक ऐसी अनोखी विधि (unique method) से किया गया है जो न केवल वास्तुकला के लिहाज से बल्कि सांस्कृतिक महत्व के हिसाब से भी अद्भुत है. 15वीं शताब्दी के दौरान धनी व्यापारी बंदा शाह ओसवाल ने इस मंदिर का निर्माण पानी की जगह घी का उपयोग करके कराया, जो कि जैन धर्म के पांचवें तीर्थंकर सुमतिनाथ को समर्पित है.
वास्तुकला और आंतरिक सजावट
भांडासर मंदिर न केवल अपने निर्माण के लिए बल्कि अपनी अंदरूनी सजावट और वास्तुकला (architectural design) के लिए भी प्रसिद्ध है. इस तीन मंजिला मंदिर में प्रत्येक मंजिल पर जैन संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है. मंदिर के भीतरी हिस्से में की गई नक्काशी और चित्रकारी इसकी खूबसूरती को और भी बढ़ाते हैं.
घी का उपयोग क्यों?
इस अनोखे मंदिर के निर्माण में पानी के स्थान पर घी का उपयोग करने का निर्णय उस समय के पर्यावरणीय और सामाजिक परिस्थितियों से प्रेरित था. जब गांव वालों ने पानी की कमी के कारण मंदिर निर्माण का विरोध किया. तब बंदा शाह ने घी का इस्तेमाल करने का फैसला किया. यह कदम न केवल जल संरक्षण (water conservation) का एक उदाहरण पेश करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे पुराने समय में भी संसाधनों की कमी के बावजूद बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य किए गए थे.
मंदिर की वास्तविकता और लोककथाएं
हालांकि यह सत्यापित करना मुश्किल है कि मंदिर की नींव वास्तव में पानी की बजाय घी से बनी है या नहीं. परंतु लोककथाओं (folk tales) और स्थानीय लोगों के अनुसार गर्मी के दिनों में मंदिर के पत्थर से घी रिसने की घटनाएं इस बात की पुष्टि करती प्रतीत होती हैं. यह न केवल इस मंदिर की अनोखी बनावट को दर्शाता है बल्कि यह भी बताता है कि कैसे प्राचीन भारतीय वास्तुकला में अनोखा समाधानों का आविष्कार किया गया था.