भारत में हल्दी का उपयोग न केवल भोजन में मसाले के रूप में किया जाता है बल्कि यह आयुर्वेदिक उपचारों में भी एक महत्वपूर्ण प्रोडक्ट है। हल्दी को भारतीय रसोईघरों में शुभता का प्रतीक माना जाता है। यह विविध प्रकार की स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं के लिए एक औषधि के रूप में भी सेवन की जाती है।
कृषि विशेषज्ञ की नजर में हल्दी की उपयोगिता
डॉ. आरके सिंह, जो कि हजारीबाग के आईसीआर में कृषि वैज्ञानिक हैं के अनुसार हल्दी की खेती की उपयोगिता बहुत अधिक है। हल्दी न सिर्फ खाद्य पदार्थों में उपयोगी है बल्कि इसकी खेती भी किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है। किसान इसे सामान्य भूमि या पेड़ों की छाया में भी उगा सकते हैं।
खेती के लिए उपयुक्त भूमि और मौसम
हल्दी की खेती के लिए सबसे पहले मिट्टी की उचित जांच करनी चाहिए। डॉ. सिंह के अनुसार खेती के लिए चुनी गई भूमि की मिट्टी को भारी और नमी युक्त होना चाहिए तथा जल जमाव वाली भूमि से बचना चाहिए। मई से जुलाई के महीने में इसकी बुवाई सही रहती है।
हल्दी की खेती की विधि
किसानों को हल्दी की खेती के लिए खेत को कतारबद्ध तरीके से तैयार करना चाहिए जिसमें मेड़ों की दूरी 1 फीट और पौधों की दूरी आधे फीट रखनी चाहिए। रोपाई के समय कंपोस्ट खाद का प्रयोग करना चाहिए। बुवाई के बाद प्रत्येक 6 से 7 दिनों के अंतराल में पानी देना चाहिए।
हजारीबाग के लिए उपयुक्त हल्दी के बीज
हजारीबाग की भूमि और जलवायु को ध्यान में रखते हुए यहां के लिए पीतांबर और केसरी बीज सबसे उपयुक्त हैं। एक एकड़ भूमि पर 5 से 6 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है जिससे 100 से 120 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है।