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ये है दुनिया का सबसे लंबा रेल सफर जिसे पूरे होने लग जाता है एक हफ़्ता, नदियों, पहाड़ों से लेकर बर्फीली वादियों का दिखता है नजारा

जब किसी व्यक्ति को कहीं सफर करना होता है तो वो हमेशा यही सोचता है कि बस से जाएं या ट्रेन से जाएं  क्योंकि वो अपनी सुविधाएं भी इसमें खोजता है कि उसे कहां पर ज्यादा आराम दे महसूस हो सकता है।
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duniya ka sabse lamba train route

जब हम ट्रेन से कहीं दूर का सफर करते हैं तो हमें  कई दिन भी लग जाते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी जगह है जहां पर हम ट्रेन से सफर करते हैं तो हमें बहुत लंबी यात्रा करना पड़ता है। जहां तक पहुंचने में हमें 7 दिनों का सफर करना पड़ता है तब जाकर हम जिस जगह पर जाना चाहते हैं वहां पहुंचते हैं।अब आप सोच रहे होंगे कि यह कौन सी जगह है।जहां पर जाने में इतना समय लगता है।जी हां दोस्तों यह दुनिया के सबसे लंबी यात्रा है जिसे तय करने में पूरे 7 दिन लग जाते हैं।

ट्रेन से सफर करने में मिलता है आरामदेह

जब किसी व्यक्ति को कहीं सफर करना होता है तो वो हमेशा यही सोचता है कि बस से जाएं या ट्रेन से जाएं क्योंकि वो अपनी सुविधाएं भी इसमें खोजता है कि उसे कहां पर ज्यादा आराम दे महसूस हो सकता है। भारत में रेल के सफर को सबसे सुरक्षित और आरामदायक सफर माना जाता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति कोशिश करता है कि वो ट्रेन से ही सफर करें।

लेकिन आज बात दुनिया की उस ट्रेन की जो सबसे लंबी दूरी तय करती है। जो ट्रेन इस रूट पर चलती है उसका नाम है ट्रांस-साइबेरियन। यह मॉस्को से प्योंगयांग तक की यात्रा दुनिया की सबसे लंबी रेल यात्रा को पूरा करती है। रूस के मॉस्को से उत्तरी कोरिया के शहर प्योंगयांग तक 10,214 किलोमीटर की दूरी तय करती है।  

ट्रांस-साइबेरियन रेलवे की शुरुआत 

अब आप सोच रहे हो कि इस  रेलवे ट्रेन की शुरुआत कब की गई थी तो हम आपको बता दें कि ट्रांस-साइबेरियन रेलवे की शुरुआत 1916 में हुई थी।ट्रांस-साइबेरियन रेलवे यात्रियों को मास्को से रूस के ही व्लादिवोस्तोक तक की जर्नी भी कराता है। यह रूट दुनिया का दूसरा सबसे लंबा रेल रूट है। इस रूट पर चलने वाली ट्रेन पहाड़ों और जंगलों से होकर गुजरती है।

नहीं बदलना पड़ता है अपना सीट

यह ट्रेन नॉर्थ कोरिया से रूस के मास्‍को के लिए पैसेंजर्स को एक ट्रेन कार रूस के व्लादिवोस्तोक तक लेकर आती है। उसके बाद ट्रेन कार व्लादिवोस्तोक से मास्‍को के लिए जाने वाली ट्रेन के पीछे जुड़ जाती है।इसकी सबसे खास बात ये है कि किसी भी पैसेंजर को इस यात्रा के दौरान अपनी सीट बदलने की जरूरत नहीं पड़ती है।इस पूरी यात्रा में इसे पूरा होने में 7 दिन 20 घंटे 25 मिनट का समय लगता है। इस दौरान ट्रेन 16 प्रमुख नदियों को पार करती हुई 86 शहरों से गुजरती हुई जाती है।