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ट्रेन के नीचे किस कारण के लगाई जाती है लोहे की चादर, डिजाइन नही बल्कि इस काम के लिए होती है इस्तेमाल

भारतीय रेलवे की शुरुआत 1836 में हुई थी। जिस दौरान ब्रिटिश सरकार अपनी हुकूमत चलाया करती थी इसका इतिहास 186 साल पुराना है
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भारतीय रेलवे की शुरुआत 1836 में हुई थी। जिस दौरान ब्रिटिश सरकार अपनी हुकूमत चलाया करती थी इसका इतिहास 186 साल पुराना है। वहीं भारतीय रेलवे की बात करें तो यह है 68000 किलोमीटर से ज्यादा लंबे ट्रैक लगभग 13200 के करीब पैसेंजर ट्रेनों और 7325 स्टेशन के साथ दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेशनल रेल नेटवर्क है। इतने बड़े नेटवर्क से जो यात्री सफर करते हैं उनकी सुरक्षा को लेकर एक बड़ी चुनौती सामने आती है।

लेकिन इसके लिए भी रेलवे ने एक से बढ़कर एक सुरक्षा के इंतजाम किए हुए हैं। ट्रेन के अंदर लोकोमोटिव इंजन का इस्तेमाल सुरक्षा के संबंध में ही किया गया है।

क्यों लगी होती है जाली

अगर हम सोशल मीडिया की बात करें तो यहां पर कई तरह की चीज दिखाई और बताई जाती हैं। वही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कोर की बात करें तो क्या आप इस जाल को जानते हैं। अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि इस जाल को कैटल गार्ड कहा जाता है। इसके बारे में बहुत सारे लोगों की यह सोच है कि यह मवेशियों या जानवरों की सुरक्षा के लिए लगाया जाता है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यह जल मवेशियों की सुरक्षा के लिए नहीं लगाया जाता बल्कि पुरी की पूरी ट्रेन की सुरक्षा के लिए लगाया जाता है ताकि यात्री को किसी तरह की परेशानी ना हो।

मवेशियों के लिए लगाया जाता है लोकोमोटिव

अगर आपने ट्रेन की पटरिया देखी होगी तो आपको पता होगा कि यह खुले में रहती है। जिस पर कोई भी मवेशी या जानवर आ सकता है। ऐसे में अगर जानवर किसी ट्रेन से टकरा जाए तो बड़ा हादसा हो सकता है। यही कारण है कि लोकोमोटिव के अगले हिस्से पर जाली लगाई जाती है। अगर इसके बाद अगर ट्रेन से कोई जानवर टकराता है तो वह ट्रेन के नीचे आ जाता है, तो बैलेंस बिगड़ सकता है और ट्रेन के पटरी से उतरने का खतरा भी बना रहता है जिसके कारण दुर्घटना हो सकती है।