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किस कारण चाय पीने के बाद नींद हो जाती है छूमंतर, जाने इसके पीछे की असली साइंस

 एक कप चाय में लगभग 70% से 80% कैफीन पानी में घुल जाता है और कैफीन के साथ चाय सतर्कता को बढ़ा देता है जो कि हमारे दिमाग को उत्तेजित करता है
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 एक कप चाय में लगभग 70% से 80% कैफीन पानी में घुल जाता है और कैफीन के साथ चाय सतर्कता को बढ़ा देता है जो कि हमारे दिमाग को उत्तेजित करता है. हमारे शरीर की थकान एडोनोसिन नामक न्यूरोमोड्यूलेटर से आती है जो की एक दिन में काम करने के बाद हमारे शरीर द्वारा तैयार किया जाता है.

जब एडिनोसिन एडिनोसिन रिसेपेटर्स से जुड़ जाता है तो हम थकावट महसूस करते हैं और सोना चाहते हैं. कैफीन के अणु और एडोनोसिन समान दिखाई देते हैं. कैफीन एडिनोसिन रिसेपेटर्स को कंफ्यूज कर देते हैं और रिसेपेटर्स के साथ जुड़ जाते हैं.

नींद गायब होने का कारण

जानकारी के मुताबिक, एक व्यक्ति के शरीर में उपलब्ध केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में कैफीन का प्रतिक्रिया समय शराब जैसे अन्य उत्तेजक पदार्थों की तुलना में कम होता है. एक घंटे में कैफीन अन्य मेटाबॉलिट्स में घुल जाएगा. आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले पेय पदार्थ जैसे एनर्जी ड्रिंक, कोला और चॉकलेट में भी कैफीन होता है लेकिन यदि हम इसका सेवन नहीं करते तो यह हमारी नींद को प्रभावित नहीं करते हैं

और यदि हमारे पास केफीन की एक निश्चित मात्रा है तो सारी Caffin तीन-चार घंटे में खत्म हो जाती है. अलग-अलग लोग कैफ़ीन के प्रति अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया रखते हैं. इसीलिए एक व्यक्ति के लिए सुरक्षित या सुखद मात्रा हर किसी के लिए स्वस्थ नहीं हो सकती है और यही नींद ना आने का कारण बन जाता है.

चाय के सेवन से संबंधित ध्यान रखने योग्य बातें 

बता दें कि एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 200 से 300 मिलीग्राम कैफीन सुरक्षित माना जाता है. यदि आप टेंशन में है, आसानी से अपनी नींद खो देते हैं, कैफीन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है या आप कुछ दवाइयां ले रहे हैं तो आपके लिए अच्छा होगा कि अभी अधिक चाय ना पिए और सोने से कम से कम 4 घंटे पहले चाय का सेवन न करें. यदि आपको कैफीन किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करता तो आप जब चाहे चाय पी सकते हैं. चाय सहित किसी भी चीज में खुद को शामिल न करें. यही आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहेगा.