home page

झारखंड के इस शख़्स ने टीचर की नौकरी जाने के बाद नही मानी हार, LED बल्ब की रोशनी में फूलों की खेती करके कमाता है लाखों

अजय कुमार झारखंड के हजारीबाग के रहने वाले  है। करोना काल में उनकी शिक्षक की नौकरी चली गई। उसके बाद उन्होंने रात में जमीन पर अंधेरे को चीरती एलइडी बल्व की रोशनी में जब बंजर जमीन पर पुष्प शृंगार अर्थात रंग-बिरंगे फूल खिले दिखाई देते हैं।
 | 
jharkhand man doing flower farming

अगर किसी की नौकरी एक बार चली जाती है तो वो थक हार के घर बैठ जाता है और दोबारा नौकरी की तलाश में रहता है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं। जो नौकरी की इंतजार छोड़ अपना खुद का बिजनेस करना शुरू कर देते है। आज हम ऐसे ही एक व्यक्ति के बारे में बात कर रहे हैं। जिनका शिक्षक की नौकरी कोरोना काल में छूट गई लेकिन उन्होंने हार नहीं माना और खेती करना शुरू कर दिया।

फूलों की खेती से बनाया अपना पहचान 

अजय कुमार झारखंड के हजारीबाग के रहने वाले  है। कोरोना काल में उनकी शिक्षक की नौकरी चली गई। उसके बाद उन्होंने रात में जमीन पर अंधेरे को चीरती एलइडी बल्व की रोशनी में जब बंजर जमीन पर पुष्प शृंगार अर्थात रंग-बिरंगे फूल खिले दिखाई देते हैं, तो अजय का मन बाग-बाग हो जाता है। जिसके बाद उनको अपनी नौकरी जाने का कोई गम नहीं हुआ।

चूंकि रात में की गई फूलों की इस खेती से उनके सारे अरमान पूरे हो रहे हैं। इसी खेती ने उसे न सिर्फ प्रगतिशील किसान बना दिया। बल्कि इस फूलों की खेती से उनका अलग पहचान बन गया।

कोरोना में गई नौकरी तो शुरू किया खेती

अजय कोरोना काल में बेरोजगार हो गए। वह एक निजी स्कूल में संगीत के शिक्षक थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। बेरोजगार होने के बाद उन्होंने खेती शुरू की और पहले सब्जियां उगानी शुरू की लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और सब्जियों की खेती बर्बाद हो गई। अजय ने हौसला बनाए रखा और लीज पर जमीन लेकर फूलों की खेती शुरू की और यहीं से क्लिक कर गया। ऐसे तो कई किसान फूलों की खेती करते हैं। लेकिन अजय ने नई तकनीक का सहारा लिया और रात में एलईडी बल्व जलाकर खेती कर रहे हैं। 

रात में एलईडी बल्ब की सहायता से खेती

बिजली का लाइट जला कर तो बहुत अधिक लोग खेती करना शुरू कर दिए हैं। लेकिन बहुत ऐसे कब लोग होंगे जो एलईडी बल्ब की सहायता से खेती करते होंगे। ऐसा माना जाता है कि झारखंड का वह पहले ऐसे किसान हैं। जो रात में एलईडी बल्ब की सहायता से खेती करते हैं। अजय बताते हैं कि फूलों की खेती करने के दौरान पौधे देनेवाले ने उन्हें बताया था कि बल्व की रोशनी फूलों पर पड़नी चाहिए।

ऐसे में पौधे जल्द तैयार होंगे। उन्होंने वैसा ही किया। ऐसे में समय से पहले ही पौधे तैयार हो गए और पूरा खेत फूलों से खिल उठा। बल्व लगाने से उसे दूसरा फायदा यह हुआ कि उसके खेत में जंगली जानवरों की आवाजाही बंद हो गई। तीसरा लाभ यह हुआ कि बल्व की रोशनी में ही वह अपने बच्चों को खेत में ही पढ़ाते हैं।

10 हजार की लगाई पूंजी से हो रही बेहतर आय

अजय ने अपने खेत में 1600 गुलदाउदी, 3000 गेंदा, 1000 ग्लैड्यूलर, 200 कामिनी और 100 डालिया के पौधे लगाए हैं। 18 दिसंबर को पौधा लगाया था। उस पौधे को लगाने में उसने ₹10000 खर्च किए थे।लेकिन आज उसे बेहतर हो रही है। अजय का कहना है कि हजारीबाग में फूलों का बाजार बहुत अच्छा नहीं है। फिर भी उनकी कमाई हो जा रही है।

लोग उनके पास फूल खरीदने के लिए पहुंचते हैं। जयमाला बनाने के लिए आर्डर देते हैं। अब तक वह लगभग 80 शादी समारोह के लिए जयमाला तैयार कर चुके हैं। इतना ही नहीं गेंदा के फूल भी खेत में तैयार हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि आज हमारे दुकान पर हजारीबाग से लोग फूल खरीदने पहुंच रहे हैं।

बंजर भूमि पर जगमगा रहा है फूलों की खेती

अजय ने कहा कि सब्जियों की खेती तो बहुत सारे लोग करते हैं लेकिन फूलों की खेती बहुत कम लोग करते हैं. जिसके बाद उन्होंने कहा कि जिसके बाद उन्होंने कहा कि बंजर जमीन पर आज फूलों का शृंगार हो गया।इस बंजर भूमि पर कभी कंटीली झाड़ियां हुआ करती थीं। आज वहां खूबसूरत फूल खिले हुए हैं। यह उनकी मेहनत का सुखद फल है।

भविष्य में वो चाहते हैं कि व्यापक पैमाने पर फूलों की खेती करें। इसके लिए उन्होंने सरकार को पॉली हाउस के लिए आवेदन भी दिया है। अजय ने केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री कुंभ योजना का लाभ लिया है।इससे खेत में महज पांच हजार रुपए में सोलर पैनल लग गया और अब वह लगातार खेती कर सकते हैं।