रिटायरमेंट के बाद सेना के कुत्तों के साथ क्या किया जाता है? क्या उन्हें रिटायरमेंट के बाद मार दी जाती है गोली जाने असली सच्चाई

जानवरों से तो हर किसी को प्यार होता है हर कोई अपने घर में जानवर पलता है। किसी को कुत्ता पसंद होता है तो किसी को बिल्ली लेकिन ज्यादातर लोग अपने घरों में कुत्ते पलते हैं। लेकिन यह तो आप जानते ही होंगे की कुत्ता एक बेहद ही वफादार जानवर है जोकि बड़ी जल्दी ही इंसानों का दोस्त बन जाता है। लेकिन आज हम आपको कुत्ते से जुड़ी एक अनोखी बात बताएंगे जिसे शायद ही आप जानते होंगे इंडियन आर्मी भी दुश्मनों का पता लगाने के लिए कुत्तों का इस्तेमाल करती है।
लेकिन कहा जाता है कि रिटायरमेंट के बाद कुत्तों और घोड़े को गोली मार दी जाती है। यानी की जब कुत्ते और घोड़े की सेवा एक निश्चित समय के बाद खत्म हो जाती है तो उन्हें गोली मार दी जाती है। ऐसा इंटरनेट पर दावा किया गया है वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो भारतीय सेवा के इस अमानवीय रूप का विरोध कर रही है। तो चलिए जानते हैं इस बात में क्या सच और क्या झूठ है।
आर्मी में होती है कुत्तों की भर्ती
आपको बता दें कि जिस तरह से एक आर्मी के जवान को आर्मी में भर्ती किया जाता है ठीक उसी प्रकार कुत्तों को भी आर्मी में ज्वाइन कराया जाता है और उन्हें भी खास तरह की ट्रेनिंग दिलाई जाती है। इंडियन आर्मी में बम और विस्फोटक पदार्थ की ट्रेनिंग दी जाती है जिसे सुनकर कुत्ते पता लगा लेते हैं कि इस तरह की चीज कहां छुपी है।
अब जानेंगे कि इंडियन आर्मी किस तरह के नस्ल के कुत्तों को जॉइन कराती है ? इनमे सबसे ज्यादा लैब्राडॉर, जर्मन शेफर्ड, बेल्जियन शेफर्ड नस्ल के कुत्तों को रिक्रूट करती है। आर्मी जवानों की तरह ही इन कुत्तों को नाम और उनकी रैंक दी जाती है जब यह कुत्ते मर जाते हैं तो कई रस्में भी निभाई जाती हैं।
रिटायरमेंट के बाद कुत्तों का क्या होता है
इन कुत्तों को पूरी ट्रेनिंग दी जाती है ऐसे में कहा जाता है कि कुत्तों के पास इंडियन आर्मी की सभी तरह की जानकारी होती है इसलिए इन कुत्तों को सुरक्षा के कारण से गोली मारी जाती थी। दूसरा कारण यह भी था की इंडियन आर्मी की तरफ से यह भी कहा गया है की कहीं ये कुत्ते गलत हाथों में लग गए तो लोग इनका गलत इस्तेमाल भी कर सकते है। लेकिन अब रिटायरमेंट के बाद इन कुत्तों को मेरठ और उत्तराखंड के वृद्ध आश्रम में भेज दिया जाता है जहां पर इनका ख्याल रखा जाता है।