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Tree Pension Scheme: देश का एक राज्य जो बूढ़े पेड़ों को देता है पेंशन, जाने कितनी मिलती है पेंशन

हरियाणा सरकार ने पेड़ों की रक्षा करने के लिए एक "प्राण वायु देवता योजना" बनाई है। इस योजना के माध्यम से राज्य को 75 वर्ष से अधिक उम्र के पेड़ों की देखभाल के लिए प्रति महीने २५०० रुपये की धनराशि दी जाती है।
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देश का एक राज्य जो बूढ़े पेड़ों को देता है पेंशन

Tree Pension Scheme: हरियाणा सरकार ने पेड़ों की रक्षा करने के लिए एक "प्राण वायु देवता योजना" बनाई है। इस योजना के माध्यम से राज्य को 75 वर्ष से अधिक उम्र के पेड़ों की देखभाल के लिए प्रति महीने २५०० रुपये की धनराशि दी जाती है।

हाल ही में करनाल जिला वन विभाग ने 75-150 वर्ष पुराने 120 पुराने पेड़ों को पहले वर्ष की 2750 रुपये की पेंशन दी है। इसके साथ ही हरियाणा देश का पहला राज्य बन गया है जो पेड़ों को पेंशन देता है।

प्रदेश सरकार की प्राण वायु देवता योजना के तहत 75 से 150 वर्ष के 120 पुराने पेड़ों का चयन किया गया था। जिला वन विभाग ने इसके बाद इन पेड़ों को पहले वर्ष 2750 रुपये की पेंशन दी है। वन विभाग ने कर्ण नगरी की 120 पंचायतों, संस्थाओं और निजी व्यक्तियों के 120 पेड़ों को संभाला है। वन विभाग ने इन्हें 3.30 लाख रुपये दिए हैं।

वन विभाग ने बताया कि जिले में नौ प्रकार के पेड़ों को पेंशन दिया गया है, सबसे अधिक 49 पीपल और 36 बरगद के पेड़ थे। इसमें ११ पिलखन, चार जांडी, नीम और जाल के दो-दो पेड़ और एक कैंब और एक केंदू का पेड़ भी है।

जिले में पाए गए इन पेड़ों की उम्र 75 से 150 वर्ष है। वहीं, काछवा व गोली गांव, जिसमें सात-सात पेड़ पाए गए हैं, पेड़ों के संरक्षण में सबसे आगे है। इसके अलावा, जिले में 27 गांव में केवल एक पेड़ है। शहर की तुलना में गांव में ऐसे पुराने पेड़ नहीं हैं जो विभाग के दावों को पूरा कर सकें। एकलौता घरौंडा शहर में एक 90 वर्षीय नीम का पेड़ मिला।

जय कुमार नरवाल, जिला वन अधिकारी, ने कहा कि पुराने पेड़ साझा विरासत का एक हिस्सा हैं और जीवन के लिए ऑक्सीजन का सबसे बड़ा स्रोत हैं। ऐसे पेड़ों का संरक्षण जीवन के लिए आवश्यक है। पुराने पेड़ों की देखभाल करने वाले मालिकों को भी प्रोत्साहन मिलेगा ताकि अधिक लोग ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाने के लिए प्रेरित हों।

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे विरासत वृक्षों की तलाश करें और पेंशन के लिए आवेदन करें। पेड़ों को बचाने के लिए राज्य सरकार की यह अच्छी कार्रवाई है। इससे लोगों को पर्यावरण और पेड़ों को बचाने की प्रेरणा मिलेगी।

इन गांवों में पेड़ों को बचाया गया

गुढा, कुटेल, बुढाखेड़ा, जडौली, मानपुर, कलामपुरा, घरौंडा, सलारपुर, मैणमति, महमदमुर, बड़गांव, रंगरूटीखेड़ा, पोरा, मंचूरी, पिचौलिया, चोरकारसा, आमूपुर, खांडाखेड़ी, मोहड़ी जागीर, जैनपुर, इंद्री, गढीजटान, गढीबीरबल, कलसौरा, सैयद छपरा, बदरपुर, सीकरी, रंबा, दो-दो पेड़ बल्ला, रींडल, कुंजपुरा, रुकानपुर, खेड़ी शर्फअली, थल, कौल खेड़ा, बरास और शामगढ़ में हैं। डबरी, बुढनपुर, संगोही, चोरा, बस्सी, सरवण माजरा, पूजम, संधीर और भोला खालसा में प्रत्येक में तीन-तीन पेड़ हैं। शेखपुरा, पुंडरक, गढ़ी खजूर और ऊंचा समाना में चार-चार पेड़ हैं। सात-सात पेड़ गोली और काछवा में सुरक्षित हैं। 

प्रदेश सरकार ने 120 पेड़ों को पहली पेंशन दी है। गोली गांव और काछवा गांव (दोनों में सात-सात पेड़ मिले हैं) ने पेंशन योजना में सबसे ज्यादा पेंशन लिया है। प्रदेश सरकार की यह अच्छी कार्रवाई पुराने पेड़ों को बचाने की है।