CIBIL Score: सिबिल स्कोर का बेहतर होना लोन प्राप्ति के लिए अत्यंत आवश्यक है. यह आपके क्रेडिट इतिहास और ऋण चुकाने की क्षमता का प्रतिबिंब होता है. बैंक या वित्तीय संस्थान इस स्कोर को देखकर लोन की मंजूरी देते हैं. हालांकि सिबिल स्कोर के अलावा भी कई अन्य पहलू हैं जिन पर बैंक ध्यान देते हैं.
डेब्ट-टू-इनकम रेश्यो की भूमिका
डेब्ट-टू-इनकम रेश्यो यह दर्शाता है कि आपकी कुल मासिक आय का कितना प्रतिशत कर्ज की किस्तों में जा रहा है. यह रेश्यो जितना कम होगा लोन प्राप्ति की संभावना उतनी ही अधिक होती है. बैंक इस रेश्यो को इसलिए महत्व देते हैं क्योंकि यह आपके वित्तीय स्थिरता और ऋण चुकाने की क्षमता का संकेत देता है.
EMI/NMI रेश्यो और इसका असर
EMI/NMI रेश्यो (EMI/NMI Ratio importance) यह बताता है कि आपकी शुद्ध मासिक आय का कितना प्रतिशत आपकी मासिक ईएमआई में जा रहा है. यदि यह रेश्यो अधिक है, तो बैंक ऋण देने से हिचकिचा सकते हैं क्योंकि इससे आपके डिफ़ॉल्ट करने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए इस रेश्यो को संतुलित रखना जरूरी होता है ताकि आपको लोन प्राप्ति में आसानी हो.
लोन-टू-वैल्यू रेश्यो का महत्व
लोन-टू-वैल्यू रेश्यो (LTV Ratio importance) विशेषकर होम लोन और वाहन लोन के लिए महत्वपूर्ण होता है. यह रेश्यो यह निर्धारित करता है कि लोन की राशि आपके संपत्ति के मूल्य का कितना प्रतिशत है. यदि LTV रेश्यो अधिक है, तो यह बैंक के लिए अधिक जोखिम भरा हो सकता है. इसलिए, कम LTV रेश्यो वाले आवेदकों को आसानी से और कम ब्याज दर पर लोन मिल सकता है.
सिबिल स्कोर को बेहतर बनाने के उपाय
एक अच्छा सिबिल स्कोर (maintaining good CIBIL Score) न केवल लोन की स्वीकृति में मदद करता है बल्कि आपको कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाने में भी सहायक होता है. इसे बेहतर बनाने के लिए आपको अपने क्रेडिट कार्ड और अन्य ऋणों की EMI का समय पर भुगतान करना चाहिए. अगर आपका सिबिल स्कोर कम है, तो इसे सुधारने के लिए आपको अपने कर्ज की अदायगी में सुधार लाना होगा.
ज्यादा सिबिल स्कोर के फायदे
उच्च सिबिल स्कोर वाले व्यक्तियों को न केवल लोन मिलने में आसानी होती है, बल्कि उन्हें अन्य वित्तीथ प्रोडक्ट्स जैसे कि क्रेडिट कार्ड और ओवरड्राफ्ट सुविधाएं भी आसानी से मिल जाती हैं. एक अच्छा सिबिल स्कोर बैंकों को यह विश्वास दिलाता है कि आप एक जिम्मेदार उधारकर्ता हैं जो अपने ऋणों का समय पर भुगतान करेगा.