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5 Rupees Coin: आजकल 5 रुपये का मोटा वाला सिक्का क्यों है मार्केट से ग़ायब, असली कारण आपका सर घूमा देगा

5 रुपये का सिक्का भारत में 1992 में पेश किया गया था। हालांकि भारत का इंग्लैंड की तुलना में बहुत पुराना सिक्का इतिहास है। यहां के कई राजा-महाराजा धातु के सिक्कों के लिए प्रसिद्ध हैं। लेकिन अंग्रेजों ने भारत में अपना पहला सिक्का 19 अगस्त, 1757 को कलकत्ता में चलाया। 
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5 रुपये

5 रुपये का सिक्का भारत में 1992 में पेश किया गया था। हालांकि भारत का इंग्लैंड की तुलना में बहुत पुराना सिक्का इतिहास है। यहां के कई राजा-महाराजा धातु के सिक्कों के लिए प्रसिद्ध हैं। लेकिन अंग्रेजों ने भारत में अपना पहला सिक्का 19 अगस्त, 1757 को कलकत्ता में चलाया। यहां बने ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले सिक्के बंगाल के मुगल प्रांत में चलाए गए थे। लेकिन आज हम सिक्के के इतिहास की नहीं बल्कि 5 रुपये के मोटे सिक्के की बात कर रहे हैं जो पहले बाजार से जल्दी गायब हो गया और बाद में आरबीआई ने भी इसे दूसरे पतले सिक्कों में तब्दील कर दिया।

सिक्कों के ग़ायब होने का कारण

बाजार से तेजी से गायब हो रहे पांच रुपये के मोटे सिक्कों के पीछे एक हैरान कर देने वाली बात सामने आई। दरअसल, इन सिक्कों को बाजार से गायब कराने में तस्करों का बड़ा हाथ था। तस्कर भारत से 5 रुपये के सिक्कों की तस्करी कर बांग्लादेश भेजते थे। वहां इन सिक्कों से हजामत बनाने के ब्लेड बनाए जाते थे। पूरा मामला तब सामने आया जब 5 रुपये के सिक्के बाजार से गायब होने लगे और जब आरबीआई ने इसकी जांच की तो पता चला कि ये सिक्के तस्करी कर बांग्लादेश भेजे जा रहे थे.

सिक्कों से ब्लेड क्यों बनाई जाती है

दरअसल, पांच रुपये के पुराने सिक्के अलॉय मेटल के बने होते थे और प्रो निकेल के होते थे। इसलिए तस्कर इन्हें ब्लेड बनाने के लिए बेचते थे। अब सवाल उठता है कि तस्करों को इसका फायदा कैसे मिला? इसके पीछे का गणित बहुत साफ है। पांच रुपये के सिक्के से जितनी धातु निकलती है, उससे एक शेविंग ब्लेड बनाया जाता है, जिसकी कीमत 12 रुपये होती है। यही कारण था कि तस्कर बाजार से गायब होने के बाद इन सिक्कों को तस्करी कर बांग्लादेश ले जाते थे।

अब कैसा सिक्का चलता है

वर्तमान में, भारत में पाँच रुपये के मूल्य के साथ तीन प्रकार के सिक्के चलन में हैं। इन सिक्कों में से एक वही मोटा है जो काफ़ी टाइम से आप देखते आ रहे है, जबकि दूसरा निकल और पीतल से बना एक नया सिक्का है और इसकी मोटाई (2 मिमी) और भारी वजन (6 ग्राम) है। हालांकि, ये दोनों सिक्के अब कम ही चलन में देखे जाते हैं। तीसरे प्रकार का सिक्का सुनहरे रंग का होता है और क्यूप्रो-निकल से बना होता है, जिसका व्यास 23 मिमी और वजन 5.3 ग्राम होता है।