अब बिना बैटरी या डीज़ल के हाइवे पर रफ़्तार भरेगी गाड़ियाँ, इन देशों में गाड़ियों के लिए बनाए जा रहे है स्पेशल इलेक्ट्रिक हाइवे

पिछले कुछ सालों में भारत में में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का लोगों में बहुत क्रेज देखा गया। . इसका सबूत इलेक्ट्रिक कारों (Electric Cars) से लेकर इलेक्ट्रिक स्कूटरों (Electric Scooters) की बिक्री है। सरकार भी प्रदूषण न होने की वजह से लोगों को इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए सब्सिडी (EV Subsidy) देकर प्रोत्साहित कर रही है। इलैक्ट्रिक गाड़ियों के बाद अब इलेक्ट्रिक रोड (Electric Road) भी चर्चा का विषय बनी हुई है।
क्यों चर्चा मे है इलेक्ट्रिक रोड ?
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) का इलेक्ट्रिक रोड की चर्चा में बड़ा योगदान है। इस सप्ताह उन्होंने इलैक्ट्रिक रोड की चर्चा की और बताया है कि वे टाटा समेत कुछ कंपनियों के साथ इलैक्ट्रिक रोड को लेकर बात भी कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि इलेक्ट्रिक सड़कें भविष्य में आवागमन के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।
पारंपरिक वाहनो से समस्या
पारंपरिक वाहनो की बात करे तो पारंपरिक ईंधन जैसे डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों से प्रदूषण फैलता है। चूंकि इस समय पूरी दुनिया ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी समस्याओं के चलते कार्बन उत्सर्जन कम करने का प्रयास कर रहे है। वायु प्रदूषण में पारम्परिक वाहनों का बड़ा योगदान है यही वजह है कि सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों और अब इलेक्ट्रिक सड़को की तरफ़ ज्यादा ध्यान से रहीं है।
क्यों इलेक्ट्रिक वाहनों और सड़कों का किया जा रहा फोकस
लागत भी एक कारण है, भारत को कच्चे तेल को खरीदने में बहुत खर्चा करना पड़ता है। देश में कुछ कच्चे तेल का 80 प्रतिशत तक बहार से आयात किया जाता है। जिसमे होगी विदेशी मुद्रा खर्च होती है। इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी से चलते हैं जिससे डीजल-पेट्रोल का खर्चा बचता है जो कि बैटरी के कंपेरिजन में काफी ज्यादा होता है।
इलेक्ट्रिक सड़को पर जारी है काम
दुनिया भर की कई कंपनियां जैसे जर्मनी की कार कंपनी फॉक्सवैगन (Volkswagen) वॉल्वो (Volvo) और स्वीडन के स्टॉकहोम में कुछ ही साल पहले इलेक्ट्रिक रोड का निर्माण किया गया था। जो कि प्रायोगिक तौर पर किया था। अब स्वीडन करीब 3000 किलोमीटर लंबा इलैक्ट्रिक हाइवे बनाने की तैयारी में है। अमेरिका के डिट्रॉयट शहर में इलेक्ट्रिक सड़क बनाने का काम ऐसी शुरू हुआ है।
ओवरहेड वायर का कॉन्सेप्ट है पुराना
इलेक्ट्रिक सड़कों का कॉन्सेप्ट काफी पुराना है। इसमें दो कॉन्सेप्ट है पहला कांसेप्ट ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर का जिसे समझने के लिए आप ट्रेन या मेट्रो का उदाहरण ले सकते है। फॉक्सवैगन कंपनी का कांसेप्ट इसी पर बेस्ड है। ओवरहेड वायर वाली सड़कों पर ही गाड़ियां बिजली से चलेंगी। बिना ओवरहेड वाली सड़कों पर गाड़ियां बैटरी या पेट्रोल से चलेंगी।
कैसे मिलेगी सड़क से बिजली
दूसरे कांसेप्ट में गाड़ियों के इंजन तक बिजली इनके टायरों के जरिए पहुंचाई जाएगी। ओवरहेड वायर वाली सड़कें ट्रेन की पटरियों की तरह काम करेंगी। जो कि शहरों में जानलेवा साबित हो सकती हैं, जिसका निदान है वॉल्वो मॉडल में मौजूद है। इस मॉडल में सड़क पर ट्रेन की पटरी की तरह बिजली सप्लाई करने की व्यवस्था होगी, जैसे कि इंडक्शन चूल्हे में होती है। मतलब जब कार का रिसीवर कनेक्ट होगा, तभी बिजली सप्लाई होगी। इंडक्शन चूल्हे की तरह। पैदल चलने लोगों को इससेे कोई खतरा नहीं होगा।