Mughal Empire: मुगलो के टाइम में किस तरह होते थे तलाक, बादशाह ने बनाए थे सख्त नियम जिसको तोड़ने पर मिलती थी भयंकर सजा

भारत पर करीब 300 साल तक शासन करने वाले मुगल लोगों ने कई इस्लामी रिवाजों को भी साथ लेकर आए थे। इनमें से एक था तलाक की परंपरा। मुगल सल्तनत में तलाक को लेकर सख्त कानून थे। कानूनों का उल्लंघन करने वाले दोषी पुरुषों और महिलाओं पर कड़ी कार्रवाई की गई। आज हम मुगल काल में तलाक के नियमों पर चर्चा करेंगे।
मुगलों के तलाक कानून
बीबीसी ने बताया की मुगलों के दौर में निकाह को लेकर कई नियम थे। पहला नियम था कि मौजूदा बीवी के रहते हुए शौहर दूसरा निकाह नहीं कर सकता। दूसरा नियम था कि शौहर किसी भी दासी के सामने अपनी बीवी नहीं रख सकता था। तीसरी शर्त थी कि शौहर लंबे समय तक अपनी बीवी से दूर नहीं रह सकता। अगर वह ऐसा करता था तो उसे अपनी बीवी को गुजारा भत्ता देना होता था।
तलाक कैसे होता था ?
मुगलों के काल में निकाह केवल जुबाने वादे से होता था। रिश्तेदारों और अन्य व्यक्तियों ने उन वादों की गवाही दी। जब शौहर या बीवी निकाहनामे के नियमों का उल्लंघन करते थे, तो शादी खत्म हो सकती थी। वहीं, बीवी शौहर से वादाखिलाफी करने पर उससे खुला ले सकती है। यदि निकाह किसी भी कारण से टूट जाता था, तो शौहर को अपनी बीवी को गुजारा भत्ता देना होता था।
नियम मुगलों पर भी लागू होते थे?
इतिहासकारों ने कहा कि मुगलों के दौर में तलाक के नियम आम लोगों के लिए थे। मुगल खुद उनका पालन नहीं करते थे। सैकड़ों महिलाएं उनके हरम में थीं। जिनसे उनकी शारीरिक जरूरतें पूरी होती थीं। इन महिलाओं को पराजित राज्य में लूटपाट कर अपहरण कर लाया गया था। हिंदू महिलाओं को जान से मारने की धमकी देकर हरम में शामिल करने के लिए मजबूर किया गया।