आजादी की पहली दिवाली पर महात्मा गांधी ने दिया था पाकिस्तान को संदेश, दीपावली नहीं मन पाएगी, पाकिस्तान भी नहीं बचेगा...

2023 में दिवाली 12 नवंबर को मनाई गई है. ठीक इसी प्रकार जब देश आजाद हुआ था यानी 1947 में तब भी दिवाली 12 नवंबर को ही थी. लेकिन उस समय कह दे जाकर दिवाली मनाने के कोई हालात नहीं थे. देश का विभाजन हो चुका था. इस्लाम धर्म के नाम पर पाकिस्तान देश बनाया गया. भारत और पाकिस्तान दोनों में ही हिंसा की आग फैली हुई थी.
हिन्दू-सिखों का पलायन चल रहा था. पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया था. आजाद भारत की पहली दिवाली पर प्रार्थना सभा आयोजित की गई. इसमें महात्मा गांधी ने हिंसा खत्म करने की अपील की. उन्होंने जिन्ना को संदेश दिया कि मारकर भगाए गए हिंदुओं और सिखों को वापस बुलाए तभी असली दिवाली मनाई जा सकेगी. आज हम आपको बताने वाले हैं की आजाद भारत की प्रथम दिवाली पर महात्मा गांधी ने क्या भाषण दिया.
महात्मा गांधी ने कहा की आज दिवाली के दिन मैं आप सभी को संबोधित कर रहा हूं. यह हिंदू कैलेंडर में एक महान दिन है. विक्रम संवत के मुताबिक नया साल कल गुरुवार से शुरू होगा. मैं आप सभी को दिवाली की बधाई देता हूं. हर साल रोशनी के साथ दीवाली मनाई जाती है
लेकिन इसका कारण जानना जरूरी है की दीवाली क्यों मनाते हैं. दीपावली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. राम और रावण के बीच महान युद्ध में राम की विजय हुई और रावण जैसी बुरी शक्ति की हार हुई. इसीलिए भारत में राम राज्य की स्थापना हुई.
लेकिन अफसोस की बात है कि अब राम राज्य कहीं नजर नहीं आता. यदि भारत में राम राज्य नहीं है तो दिवाली मनाने का कोई मतलब नहीं रह जाता. दीपावली का जश्न केवल उसी को मनाना चाहिए जिसके अंदर राम है. दिये नहीं केवल ईश्वर ही हमारी आत्मा को प्रकाशित कर सकता है
और केवल वह प्रकाश ही वास्तविक प्रकाश होगा. लोगों की भीड़ केवल कृत्रिम रोशनी देखती है लेकिन हमें सबसे ज्यादा जरूरत है हमारे दिलों में प्यार की रोशनी की. हमें अपने अंदर प्रेम की ज्योति जलानी चाहिए. आज हजारों लोग हिंसा की आग में झुलस रहे हैं और वे सभी हमारे भाई-बहन हैं.
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घायल कश्मीर की दशा देखी है. इससे उनका मन बहुत दुखी है. वह बारामाला से कुछ फूल मेरे लिए लाए हैं. प्रकृति का उपहार मेरे लिए अमूल्य है और मैं इन्हें सदा संजोकर रखता हूं. कश्मीर की इतनी खूबसूरत भूमि का सौंदर्य लूट,आगजनी और रक्तपात ने बिगाड़ दिया है. जवाहरलाल ने जम्मू की दशा भी देखी है जो बहुत ही खराब है.
श्री श्यामल दास गांधी और ढेबरभाई के विनती करने पर सरदार पटेल को जूनागढ़ जाना पड़ा. जिन्ना और भुट्टो दोनों नाराज हैं क्योंकि उनका मानना है कि जूनागढ़ पर संघ में शामिल होने के लिए दबाव डाला जा रहा है और भारत सरकार ने उन्हें धोखा दिया है. देश में हालात सामान्य करने के लिए अपने दिल से नफरत और संदेह को दूर करना आवश्यक है.
जब तक डर के मारे भागे हुए मुसलमानों को वापस नहीं लाया जाएगा तब तक दिवाली मनाने का कोई अर्थ नहीं है. यदि पाकिस्तान वहां से भागे हुए हिंदू और सिखों को वापस नहीं बुलाएगा तो वह भी नहीं बच पाएगा. मैं कामना करता हूं कि नया साल आपके जीवन में ढेरों खुशियां लेकर आए. ईश्वर सभी के हृदय को प्रकाश प्रदान करें. सभी के दिल में सद्भावना हो ताकि हम केवल भारत की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की सेवा कर पाए.