बांग्लादेश में महंगी ब्रांडेड शर्ट को बनाने में 80 पैसे का आता है खर्चा, फिर दूसरी जगहों पर बेचकर होती है मोटी कमाई

ज्यादातर बांग्लादेश में वॉलमार्ट, टॉमी हिलफीगर, प्यूमा और गैप जैसे प्रसिद्ध ब्रांडों के रेडिमेड उत्पाद बनाए जाते हैं। इसके बाद वे अमेरिका, यूरोप और भारत के बाजारों में बेचे जाते हैं। भारत में इन ब्रांडेड गारमेंट्स की कीमत हजारों रुपये में होती है।
ऐसे में आप ये भी नहीं सोच सकते कि इन्हें बनाने वाले कलाकारों को इन्हें बनाने के लिए कितनी रकम मिलेगी? इन्हें बनाने वाले कारीगरों को दस रुपये प्रति घंटे भी नहीं मिलते। ऐसे में एक टीशर्ट बनाने का मेहनताना लगभग आठ सौ पैसे आता है।
ढाका बांग्ला देश की राजधानी एक अलग जगह है। एक दुनिया है जहां सुंदर सड़कों के दोनों तरफ ऊंची चाहरदीवारी के पीछे सुंदर बंगलों में रहते हैं। इनमें लोग रहते हैं, जो सभी सुखों का लाभ उठाते हैं। दूसरी ओर चार हजार से अधिक रेडिमेड गारमेंट फैक्ट्रियों के आसपास निरंतर झुग्गी झोपड़ियों में लाखों कामगारों और छोटे कारीगरों का घर है। 40 लाख से अधिक श्रमिकों और छोटे कारीगरों से बना बांग्ला देश का ढाका शहर है। हर दिन इस शहर में हजारों नए कर्मचारी आते हैं। ध्यान दें कि ढाका विश्व में सबसे कम वेतन देने वाला शहर है।
हर दिन कितनी टी-शर्ट्स तैयार होती हैं?
बांग्लादेश में विश्व के सबसे बड़े रेडिमेड ब्रांडों के गारमेंट्स बनाए जाते हैं। इसके बारे में जेर्मी सीब्रूक की पुस्तक "द सॉन् ग ऑफ शर्ट" में विस्तार से बताया गया है। पुराने समय में बाढ़ और तूफान से हर साल परेशान होने वाला छोटा सा देश अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेडिमेड गारमेंट्स निर्यातक है चीन के बाद।
यहाँ से टी-शर्ट्स, स्वेटर, ट्राउजर, मेंस और वीमेंस शर्ट्स बनाई जाती हैं, जो दुनिया भर में बेची जाती हैं। 1.25 लाख टी-शर्ट्स प्रति वर्ष यहां के 5,500 से अधिक कारखानों में बनाए जाते हैं। ये कारखाने ढाका, चटगांव और आसपास के क्षेत्रों में हैं।
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अधिकांश ब्रांड आउटसोर्सिंग करते हैं
बांग्लादेश दुनिया के सबसे बड़े गारमेंट ब्रांड्स के उत्पादों को बाहर से खरीदता है। दरअसल, काम बांग्लादेश में सबसे सस्ता है। इससे ब्रांड्स का खर्च बहुत कम होता है। यही नहीं, उनका काम बहुत फिनिशिंग है। विदेशों में हजारों रुपये में बिकने वाले इन गारमेंट्स को बनाने वाले बांग्लादेशी कारीगरों और कर्मचारियों को एक शर्ट बनाने के लिए 10 रुपये भी नहीं मिलते। यूरोप के सबसे बड़े रेडीमेड रिटेलर हैंस एंड मौरिट्ज (H&M) का आधा हिस्सा बांग्ला देश में काम करता है। ब्रिटेन के प्राइमर्क, इटली के राल्फ लौरेन बांग् लोदश, दुनिया के सबसे बड़े रिटेल ब्रांड वॉलमार्ट को दिए जाने वाले आर्डर को लगातार बढ़ा रहे हैं।
मैंकेंजी का दावा चीन को छोड़ेगा पीछे
कंसल्टेंसी फर्म मैंकेंजी ने कहा कि 2020 तक बांग्लादेश भी चीन को रेडीमेड गारमेंट्स के निर्यात में पीछे छोड़ देगा। हालाँकि 2020 में कोरोना ने निर्यात समेत विश्वव्यापी व्यापार को रोक दिया। उस समय किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं हुआ था। लेकिन अब सब कुछ धीरे-धीरे सामान्य हो गया है। मुर्शिदाबाद और ढाका के सिल्क के कसीदे करीब 200 साल पहले कढ़े जाते थे। बंगाल की कपड़ों की कला पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थी। फिर अंग्रेजों ने अपने कारोबार को बढ़ावा देने के लिए इस उद्योग को बंगाल में ध्वस्त कर दिया।
मैनचेस्टर में अब ताले लटक रहे हैं
भारतीय बाजारों को अंग्रेजों ने मैनचेस्टर में बनाए गए हल्के कपड़ों से भर दिया। नतीजतन, बंगाल के सिल्क और मलमल कारीगरों ने अपने परिवार को चलाने के लिए दूसरे काम करने लगे। फिर भी, उनके डीएनए में कपड़ों पर बारीक काम करने की कला कायम रही, जो अब फिर से बोल रही है। बता दें कि बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग लगातार विकसित हो रहा है। साथ ही मैनचेस्टर के रेडीमेड गारमेंट और कपड़ा कारखानों को नुकसान हुआ है।
इससे शुरू हुई विकास की कहानी
1978 में, बांग्लादेश की रेडिमेड इंडस्ट्री के जनक नुरुल कादर खान ने 130 युवाओं को प्रशिक्षण के लिए दक्षिण कोरिया भेजा। ये युवा प्रशिक्षण लेकर वापस आने पर बांग्लादेश में पहली गारमेंट फैक्ट्री खुली। बाहर से काम लाने का प्रयास शुरू हुआ।
बांग्लादेश में एक के बाद एक कई फैक्ट्रियां बन गईं। 1985 में बांग्लादेश का रेडिमेड गारमेंट उद्योग 38 करोड़ रुपये का था। 2019 तक यह क्षेत्र 22.49 अरब डॉलर का था। इस उद्योग से बांग्लादेश की लगभग 80% निर्यात आय निकलती है। बांग्लादेश में अच्छे कॉटन से बनी टी-शर्ट की कीमत 1.60 से 6.00 डॉलर है। इसके बाद इन्हें कम मूल्य पर बेचा जाता है।
क्या है इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था?
बांग्लादेश में वॉलमार्ट, एच एंड एम, ह्यूगो बॉस, टॉमी हिलफीगर, प्राइमर्क, बेनेटन, गैप, रिप्ले, जी स्टार रो, जियोर्जियो अर्मानी, कैल्विन क्लीन, प्यूमा और रॉल्फ रौलेन के कपड़े बनाए जाते हैं। अब इस उद्योग की अर्थव्यवस्था को समझते हैं। वास्तव में, एक किग्रा कॉटन से चार से पांच टी-शर्ट बनते हैं। बांग्लादेशी कॉटन की कीमत लगभग 3.80 डॉलर प्रति किग्रा है।
अमेरिकी कॉटन वहाँ 5.50 डॉलर के आसपास है। इसमें विस्कोज और पॉलिएस्टर मिलाया जाता है। बांग् लादेश में एक घंटे का वेतन लगभग 9 रुपये है। एक टी-शर्ट की कुल लागत 1.60 से 6 डॉलर तक हो सकती है। बांग्लादेश फैक्ट्री के मालिक को एक टी-शर्ट पर लगभग 11 रुपये मिलते हैं। विदेशी बाजारों में इनकी बिक्री से कंपनियां कमाई करती हैं।