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1983 में मारुति 800 के पहले कस्टमर को इंदिरा गांधी के हाथों मिली थी चाबी, इंदिरा गांधी भी हो गई थी भावुक

मारुति भारत की प्रमुख कार निर्माताओं में से एक है, जिसकी कई कारें बेहतरीन सेलिंग मॉडल्स में शामिल हैं।
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मारुति भारत की प्रमुख कार निर्माताओं में से एक है, जिसकी कई कारें बेहतरीन सेलिंग मॉडल्स में शामिल हैं। कंपनी के हरियाणा और गुजरात स्थित प्लांट प्रति वर्ष करीब 23 लाख इकाइयों का उत्पादन कर सकते हैं। 2018 से 2019 के जुलाई से सितंबर तक, इस कार उत्पादक कंपनी ने 1,38,000 कार का रिकॉर्ड उत्पादन करके देश में कीर्तिमान स्थापित किया.

2021 से 2023 तक कंपनी का लक्ष्य निर्यात को 7.5 से आठ लाख इकाई पर पहुंचाने का है। लेकिन आज से लगभग 40 साल पहले जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिल्ली के हरपाल सिंह को मारुति 800 कार का पहला ग्राहक बताया तो वे काफी भावुक हो गईं। आज यह कंपनी भारत में सर्वश्रेष्ठ ब्रांड बन गई है। मारुति उद्योग का सर्वश्रेष्ठ ब्रांड बनने की कहानी जानें..।

14 दिसंबर 1983 को मारुति ने 800 कार का लॉन्च किया

14 दिसंबर 1983 को मारुति उद्योग ने भारत में अपनी पहली कार मारुति 800 को लॉन्च किया। इस कार का उद्घाटन दिल्ली में हुआ था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिवंगत नारायण दत्त तिवारी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी इस मौके पर उपस्थित थे। इंदिरा गांधी ने दिल्ली के हरपाल सिंह को कार की चाबी दी। यह बहुत भावुक क्षण था। इंदिरा गांधी ने हरपाल सिंह को अपनी पहली मारुति 800 की चाबी सौंपते वक्त बहुत भावुक हो गईं। उस समय इंदिरा गांधी ने कहा, "मैं चाहती हूं कि यह कार भारत के आम लोगों के काम आए।""

संजय गांधी ने देखा था आम आदमी के कार का सपना

संजय गांधी, इंदिरा गांधी के दूसरे और छोटे बेटे, मारुति से गहरा संबंध था। संजय गांधी ने भारत के साधारण लोगों को कार देने का सपना देखा था। उन्होंने इसके लिए मारुति उद्योग से संपर्क किया था, लेकिन उनका सपना पूरा होने से पहले ही एक दुर्घटना में निधन हो गया। तब तक उनका सपना पूरा नहीं हुआ। इंदिरा गांधी ने इसे आगे बढ़ाना शुरू कर दिया, और 1983 में 800 हरपाल सिंह को मारुति की पहली कार बेची गई। 14 दिसंबर 1983, संजय गांधी के जन्मदिन पर इस कार का उद्घाटन हुआ। यह कार बाद में देश-दुनिया में काफी लोकप्रिय हुई और सबसे लोकप्रिय गाड़ी बन गई।

कितने रुपये में हरपाल सिंह ने मारुति 800 कार खरीदी?

13 दिसंबर 1983 को, दिल्ली निवासी हरपाल सिंह और उनकी पत्नी गुलशनबीयर कौर ने मारुति 800 कार को केवल 47,500 रुपये में खरीदा। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मारुति 800 कार की पहली चाबी हाथ में दी। इतना ही नहीं, 1980 के दशक में मारुति 800 देश का एक क्रांतिकारी वाहन बन गया और भारतीय मध्यम वर्ग के लिए एक प्रतीक बन गया।

कहां बनी थी मारुति 800 की पहली कार

800 की पहली मारुति कार, जो इंदिरा गांधी ने हरपाल सिंह और उनकी पत्नी गुलशन कौर को दी गई, हरियाणा में मारुति उद्योग के एक कारखाने में बनाई गई थी। 2010 तक, हरपाल सिंह की मौत के समय, यह कार उनके पास थी। उस कार का दर्जा डीआईए 6479 था। मारुति की पहली यूनिट अब कंपनी के मुख्यालय में दिखाई देगी।

चलने लायक भी नहीं थी मारुति की पहली 800 कार

जब हरपाल सिंह का 2010 में निधन हुआ, उनकी मारुति-800 कार पूरी तरह से खराब हो गई थी। इस कार की कुछ फोटो इंटरनेट पर पोस्ट की गईं। बाद में कंपनी ने कार को रिस्टोर करने का निर्णय लिया। कंपनी ने कार में सभी मूल स्पेयर पार्ट्स और उपकरण फिर से जोड़े। यह कार, हालांकि, दिल्ली की सड़कों पर चलने के लिए अब उपयुक्त नहीं थी। इसलिए, कंपनी ने कार को भारत में अपनी पहली सफलता की कहानी के रूप में अपने मुख्यालय में दिखाने का फैसला किया।

मारुति से जगदीश खट्टर का रिश्ता

इंदिरा गांधी और संजय गांधी के अलावा जगदीश खट्टर भी मारुति को भारत का सर्वश्रेष्ठ ब्रांड बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। 1993 से 2007 तक वे मारुति में प्रबंध निदेशक रहे। जगदीश खट्टर मारुति का प्रबंध निदेशक बनने से पहले भारत सरकार में प्रशासनिक सेवा अधिकारी (आईएएस) थे। जब उन्होंने मारुति का हाथ थामा, उनके पास लगभग 37 साल का अनुभव था।

1993 में वह कंपनी का मार्केटिंग डायरेक्टर बन गया। 1999 में वह पहले प्रबंध निदेशक बन गया। सरकार ने उन्हें इस पद पर नियुक्त किया था। 2002 में सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन में उसका नामांकन हुआ। 2007 अक्टूबर में मारुति से रिटायर होने के बाद जगदीश खट्टर ने अपना वेंचर कार्नेशन ऑटो स्थापित किया. यह एक मल्टीब्रांड ऑटोमोबाइल सर्विस नेटवर्क है और पुरानी कार बिजनेस में भी डील करता है।

1983 में मारुति 800 का इंजन

1983 में मारुति की हैचबैक कार 800 का इंजन सुजुकी फ्रॉन्ट एसएस80 की तकनीक पर आधारित था। पहले बैच पूरी तरह से नॉक डाउन (सीकेडी) किट में आया था। इस मॉडल में 796 सीसी एफ8डी पेट्रोल इंजन था। 35 बीएचपी की अधिकतम क्षमता इसमें थी। फिलहाल, ओमनी और ऑल्टो में यही इंजन देखा जा सकता है। लेकिन कंपनी ने भी इसे सुधार दिया है।