पहाड़ों में सफर करते वक्त होने लगती है उल्टी तो अपनाएं ये टिप्स, सफर को मस्त होकर कर पाएंगे एंजॉय

आज के समय में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपने कामकाज की थकान दूर करने के लिए घूमना फिरना पसंद करते हैं। ट्रैवल करना हर किसी को पसंद होता है। नई-नई जगह को एक्सप्लोर करना हर किसी की चाहत होती है। इसके अलावा भी बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो दो या तीन दिन का ट्रिप प्लान करते हैं और किसी शांत पहाड़ी इलाके पर घूमने जाते हैं।
लेकिन जब लंबे ट्रिप की बात आती है, तो कुछ लोगों को यह सब लुभावना तो लगता है क्योंकि उन्हें हसीन वादियां ऊंचे ऊंचे आसमान बादल यह सब कुछ बेहद प्यारा लगता है। लेकिन बाद जब ट्रेवल की आती है तो बहुत सारे लोगों को मोशन सिकनेस लगती है। अक्सर पहाड़ी इलाकों में सफर करने के दौरान उल्टी जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है तो चलिए जानते हैं पहाड़ी इलाकों में उल्टियां क्यों आती है ?
पहाड़ी सफर में क्यों होती है उल्टी
कई लोगों को ट्रैवल के दौरान मोशन सिकनेस होने लगती है जिसका संबंध सीधे पेट से होता है ऐसा इसलिए होता है। क्योंकि हमारे शरीर में कुछ संतुलन होते हैं जिसका संबंध हमारे मस्तिष्क से मिलने वाले संदेश से होता है। ऐसे में हमारे कान में कुछ तरल पदार्थ मौजूद होते हैं, जो इस पूरी घटना को निभाने में महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं जब हमारा शरीर गतिशील होता है, तो तरल पदार्थ हमारे दिमाग को सिग्नल देते हैं
इस दौरान जो हमारे दिमाग को सिग्नल मिलता है चलने या बैठने के दौरान शरीर का संतुलन बना रहता है वही इस दौरान हमारे आंख भी मस्तिष्कों को सिग्नल भेजते हैं। कई बार ऐसा होता है कि पहाड़ मोड या फिर खराब रास्ते खराब होते हैं जो कि हमारे शरीर को हिला देते हैं। हमारी आंखें यह सब कुछ देख रही होती हैं आंख और कान जी तरल पदार्थ को भेजते हैं। वह असंतुलित संदेश दिमाग को कंफ्यूज कर देता है और शरीर इस दुष्प्रभाव समझता है ऐसे में मीटिंग सेंटर को उल्टी करवाने का संदेश देता है।
किस तरह के लोगों को होती है दिक्कत
ज्यादातर ऐसा होता है कि सभी लोगों को इस तरीके की दिक्कत होती है। आप या फिर बस या पहाड़ी इलाके में ट्रैवल करते हैं तो उल्टी जैसी समस्या होती है। लेकिन यह दिक्कत ज्यादातर उन लोगों के साथ होती है, जो कम से सुनने में असमर्थ होते हैं ऐसे में दिमाग सिर्फ आंखों से मिलने वाले सिग्नल को ही प्राप्त कर पता है जिससे की उल्टी जैसी समस्या पैदा होती है।