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एक ऐसा फूल जो खिला दिख जाए तो समझ लो की नही होगी बरसात, पौराणिक कथाओं में भी इस फूल का मिलता है जिक्र

प्रकृति ने हमें कई विरासतों से नवाज़ा है। जिनकी खूबसूरती का हर कोई कायल हो जाता है
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एक ऐसा फूल जो खिला दिख जाए तो समझ लो की नही होगी बरसात

प्रकृति ने हमें कई विरासतों से नवाज़ा है। जिनकी खूबसूरती का हर कोई कायल हो जाता है. प्राकृतिक धरोहरों, जंगलों, पहाड़ों और झरनों की सुंदरता और महत्व का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है। जिसका धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व है। अक्टूबर के महीने में अक्सर आपको नदी, नालों और तालाबों के किनारे सफेद चादर जैसा खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है, जो इस बात का संकेत देता है कि अब बारिश नहीं होगी। इसे जलवायु सूचक भी कहा जाता है, जिसकी चर्चा रामचरित मानस में तुलसीदास जी ने भी की है।

क्लाइमेट इंडिकेटर होता है कास का फूल

पर्यावरणविद् डॉ. डीएस श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि कैस फूल एक जलवायु संकेतक है। कैस फूल को वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत उपयोगी माना जाता है। यह पौधा सैकरम प्रजाति का है। नदियों और झरनों के किनारे जहाँ रेत और मिट्टी का मिश्रण होता है। कास का उत्पादन वहां सबसे ज्यादा होता है। जो मिट्टी को बांधने का काम करता है। इसकी कोमल पत्तियों को जानवर भी खा जाते हैं। इसकी लंबाई 3 फीट से लेकर 7 फीट तक होती है।

बंगाल में खिलता है फुल

पर्यावरणविदों का कहना है कि इसका व्यावसायिक महत्व भी है। लोग इससे झाडू बनाकर उपयोग करते हैं। इस झाड़ू का व्यापार भी बड़े पैमाने पर होता है। वहीं कासा के फूल का इस्तेमाल लोग घर में झाड़ू लगाने के लिए भी करते हैं। उन्होंने बताया कि आदिवासी समुदाय के लोग भादो माह में इस पौधे की करमा पूजा करते हैं। वहीं बंगाल में इस फूल के खिलने के बाद ही नवरात्रि मनाई जाती है। इसके फूलों से बनी वस्तुओं की भी नवरात्रि में मांग रहती है।