अगर गली के कुत्ते के काट लेने से किसी की जान चली जाए तो जिम्मेदार कौन होगा, जाने क्या कहता है कानून

हाल ही में पालतू जानवरों के द्वारा इंसानों पर हमला करने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. बाघ बकरी टी ग्रुप के कार्यकारी निदेशक पराग देसाई अहमदाबाद में अपने घर के बाहर उन पर हमला करने वाले कुत्तों को बचाने की कोशिश कर रहे थे.
इस दौरान वह नीचे गिर गए और उनके सिर पर गंभीर चोट आई. रविवार को ब्रेन हैमरेज के कारण अहमदाबाद के अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. इससे पहले भी कई बार देखा गया है कि आवारा कुत्तों के द्वारा किसी बच्चे या सीनियर नागरिक की मृत्यु हुई है.
जानिये आवारा कुत्तों की आबादी और काटने के मामले
रिपोर्ट्स का कहना है कि देश में एक करोड़ से ज्यादा पालतू कुत्ते हैं जबकि आवारा कुत्तों की आबादी 3.5 करोड़ है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2019 में देश में कुत्तों के काटने के 4,146 मामले दर्ज किए गए. इससे मनुष्यों की मृत्यु हुई.
दूसरे डेटाओं के अनुसार 2019 के पश्चात कुत्तों के काटने के 1.5 करोड़ से भी अधिक मामले देखे गए. उत्तर प्रदेश में ऐसे मामलों की संख्या सबसे अधिक है यह 27.52 लाख है. इसके बाद तमिलनाडु (20.7 लाख ) और महाराष्ट्र (15.75 लाख ) मामलों के साथ दूसरे और तीसरे नंबर पर है.
कौन है आवारा कुत्तों के हमले के लिए जिम्मेदार?
हो सकता है कि आवारा कुत्ते पागल, भूखे या आहत हों. इसके अतिरिक्त उनके काटने का यह कारण भी हो सकता है कि वह अपने पिल्लों की रक्षा कर रहे हो. यदि उन्हें कोई उकसाये या उन्हें कोई खतरा महसूस हो तो वह हमला कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त आवारा कुत्तों की मौजूदगी से कुत्ते के काटने, रेबीज या लगातार भौंकने की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है.
सरकार के द्वारा भी लापरवाही बरती जा रही है. इसके अतिरिक्त आवारा कुत्तों के हमले के पीछे पशु कल्याण संगठन की लापरवाही भी एक कारण है. पशु कल्याण संगठन और नागरिक समाज समूह का रवैया उपेक्षित रहा है. जो कुछ व्यक्ति आवारा जानवरों की देखभाल करते हैं उन्हें प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है.
इस संबंध में क्या कहता है कानून?
कानून के अनुसार सड़क से कुत्तों को भगाया नहीं जा सकता है यह गैरकानूनी है. जब तक किसी कुत्ते का गोद नहीं लिया जाता तब तक उसे सड़क पर रहने का अधिकार होता है. भारत में 2001 से कुत्तों की हत्या पर बैन लगा दिया गया है. मुंबई उच्च न्यायालय ने नगर पालिका को "उपद्रव पैदा करने' वाले कुत्तों को मारने की अनुमति दी थी. इस फैसले को 2008 में सर्वोच्च न्यायालय ने निलंबित कर दिया.
भारतीय संविधान के आर्टिकल 51A(G) के अनुसार वन्य जीवों की रक्षा करना और सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखना भारत के प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य बनता है. आवारा कुत्तों को खाना खिलाना कानूनी है. पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा और निवासियों को अपने आवासीय क्षेत्र में खाना खिलाने की अनुमति दे दी.