home page

कभी सोचा है कि चांद को हम मामा ही क्यों कहते है? ताऊ या फूफा क्यों नही

हमारे बचपन में चंदा मामा से जुड़ी हमें कई तरह की कहानी सुनाई गई है। सभी कहानियों में चांद को मां बनाया गया है।
 | 
chand

हमारे बचपन में चंदा मामा से जुड़ी हमें कई तरह की कहानी सुनाई गई है। सभी कहानियों में चांद को मां बनाया गया है। अब वह चंदा मामा दूर के हो या फिर चंदा मामा की बारात। अगर आपने इन कहानी को सुनते हुए ध्यान दिया होगा तो सभी कहानी में चांद को मामा बताया गया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि चंदा मामा क्यों कहा जाता है। ताऊ या फूफा क्यों नहीं कहा जाता इस आर्टिकल में हम आपको चंदा मामा से जुड़ी कुछ कहानियों के बारे में बताएंगे।

चंदा मामा को लेकर कोई एक कहानी नहीं है सभी अपनी तरफ से अलग-अलग तरह की कहानी सुनाते हैं। पौराणिक और भौगोलिक कारण भी है। अगर धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो चांद को मां लक्ष्मी का भाई माना गया है। इसलिए हम माता लक्ष्मी को माता मानते हैं और इस रिश्ते से चांद को मां कहते हैं। वहां अगर इसका भौगोलिक कारण देखा जाए तो धरती को हम लोग धरती मां कहते हैं, इसलिए हाथ से धरती का चांद से भाई-बहन वाला रिश्ता हुआ इसलिए हम चांद को चंदा मामा कहते हैं।

चांद से जुड़ी है ये कहानियां

अगर चांद से जुड़ी पहली कविता की बात करें तो वह चंदा मामा दूर से होगी। हममें से ज्यादातर लोगों ने बचपन में चंदा मामा को जरूर सुना होगा। खासकर जब बच्चे रोते हैं तो मां उन्हें ये कविता सुनाती थीं। हमने स्कूल में चाँद के बारे में जो कविता पढ़ी थी वह यह थी कि एक दिन चाँद जिद करके बैठ गया और अपनी माँ से बोला, माँ, मेरे लिए भी एक छोटा सा जिंगोला सिल दो।