कभी सोचा है की पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही क्यों होता है ? जाने इसके पीछे का असली ऐतिहासिक कारण

आपने भी एक गौर किया होगा कि भारत के लगभग बहुत से राज्यों में पुलिस की वर्दी खाकी होती है आखिर उनकी वर्दी इसी रंग की क्यों होती है और यह दूसरे रंग की क्यों नहीं होती, क्या इसके पीछे कोई कानूनी कारण है या फिर इसके पीछे की कोई वजह है तो आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताने जा रहे हैं इसके पीछे की वजह जानने के लिए हमें कुछ समय पीछे जाना पड़ेगा.
बात है तब की जब हमारे देश पर अंग्रेजी शासन था. उस वक्त पुलिस की वर्दी सफेद रंग की हुआ करती थी परंतु सफेद रंग की वर्दी के साथ दिक्कत यह थी कि यह काम करते वक्त बहुत जल्दी गंदी हो जाती थी, जिससे पुलिस कर्मियों को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था.
इस समस्या से निपटने के लिए पुलिस अधिकारियों ने एक डाई बनाई। इस डाई को चाय पत्ती के मिश्रण से बनाया गया था और इसका इस्तेमाल करके पुलिसकर्मियों ने अपनी वर्दी को खाकी रंग में बदल दिया, हालांकि अब डाई का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. अब सिंथेटिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. लगभग 1847 की बात है 'नॉर्थवेस्ट फ्रंटियर' के गवर्नर के एजेंट सर हेनरी लॉरेंस ने जब सभी पुलिसकर्मियों को इस रंग को पहने देखा तो फिर उन्होंने इसे वर्दी के रंग के रूप मे अपना लिया था.
लॉरेंस ने दिसंबर 1846 में लाहौर में 'कोर ऑफ गाइड फोर्स' की स्थापना की थी और इसका गठन उत्तर-पश्चिम सीमा पर सेवा के लिए किया गया था. इसके बाद पुलिस की वर्दी सफ़ेद से खाकी हो गयी. परंतु आपको बता दे कि अभी भी कोलकाता पुलिस की वर्दी का रंग सफेद ही है और साथ ही सीआरपीएफ के 3 लाख जवानों ने भी अपनी वर्दी का रंग खाकी से दूसरे रंग में बदलने की मांग की है.