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हरियाणा के मुर्राह नस्ल के झोटे अब नेपाल में दिखाएंगे जलवा, 15 स्पेशल झोटे भेजने की तैयारियां जोरों पर

हरियाणा की मुर्राह नस्ल के झोटे अब दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। अब 15 मुर्राह झोटे नेपाल में भेजे जाएंगे। इन झोटे के पार होने पर भैंस को 3,000 लीटर दूध मिलेगा। 
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हरियाणा के मुर्राह नस्ल के झोटे अब नेपाल में दिखाएंगे जलवा

हरियाणा की मुर्राह नस्ल के झोटे अब दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। अब 15 मुर्राह झोटे नेपाल में भेजे जाएंगे। इन झोटे के पार होने पर भैंस को 3,000 लीटर दूध मिलेगा। 
केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी) ने नेपाल को 15 मुर्रा नस्ल के झोटे दिए हैं, जो कम दूध उत्पादन क्षेमता वाली तराई, लिमे, गढ़ी और परकोटे नस्लों की भैंसों की उत्पादकता को बढ़ाते हैं। 

नेपाल की बयात भैंसों की अधिकतम दूध उत्पादन क्षमता 1500 लीटर से कम है, जबकि उनकी मांओं की बयात की दूध उत्पादन क्षमता 3000 से अधिक है। नेपाल सरकार से इसके लिए कुछ नहीं लिया जाएगा, बल्कि यह उपहार में दिया गया है। 

नेपाल के पशुपालन विभाग की महानिदेशक डॉ. पमझाना कुमारी काफला, राष्ट्रीय पशु ब्रीडिंग ऑफिस के मुखिया डॉ. जगदीश पांडे, शिव नाथ मैहतो, पशु सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. राजेश यादव, सीआईआरबी के निदेशक डॉ. टीके दत्ता और आईसीएआर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पीके राउत आदि इस अवसर पर उपस्थित थे। 

नेपाल के पशु अधिकारियों ने मुर्रा नस्ल के झोटे देखा और आवश्यक कागजात बनाए। उन्हें लिखित में बताया गया है कि वे इन सभी झोटों को अपनी भैंसों की नस्ल को सुधारने में उपयोग करेंगे।

सीआईआरबी के निदेशक तीर्थ कुमार दत्ता ने कहा कि यह संयुक्त प्रयास नेपाल में भैंसों की उत्पादकता और आनुवंशिक पूल में सुधार करेगा। नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे डॉ. समझाना ने इस आदान-प्रदान के नेपाल के कृषि परिदृश्य पर होने वाले प्रभावों पर जोर दिया।

सीआईआरबी के प्रवक्ता नवनीत सक्सेना ने कहा कि सभी पंद्रह मुर्रा नस्ल के झोटे दीपावली के तुरंत बाद ट्रक में नेपाल भेजे जाएंगे। चिकित्सकों की एक टीम इन झोटों के साथ नेपाल जाएगी और विदेश मंत्रालय से कुछ अनुमति लेनी होगी। भारत-नेपाल बॉर्डर को क्लीयर करवाना और अन्य कार्य भी एक टीम को करना होगा।