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पहली बार वेज्ञानिको को मिला ब्रह्मांड का सबसे अनोखा तारा, तारों की उत्पत्ति को समझने में मिलेगी मदद

अब धीरे-धीरे हमारा देश पृथ्वी को जानने की कोशिश कर रहा है और ब्रह्मांड को इंसानों ने देखना शुरू किया है।
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पहली बार वेज्ञानिको को मिला ब्रह्मांड का सबसे अनोखा तारा

अब धीरे-धीरे हमारा देश पृथ्वी को जानने की कोशिश कर रहा है और ब्रह्मांड को इंसानों ने देखना शुरू किया है। लेकिन इसके अलावा स्पेस टेक्नोलॉजी और ब्रह्मांड के रहस्याओं को जानना अभी बाकी है लेकिन जिस तरह से इसका विकास हो रहा है। इस तरह इंसान एक नई दुनिया की तरफ तेजी से बढ़ता चला जा रहा है।

 वही आज हम बात करेंगे एक अनोखे तारे की जो की बहुत जल्दी दिखाई नहीं देता है। यह एक ऐसा खास तारा है जो करोड़ों वर्षों में एक या फिर दो बार ही दिखाई देता है। तो चलिए जानते हैं इस अनोखे तारे के बारे में।

क्या है अनोखे तारे का नाम

इस नए तारे का नाम J1912-4410 है। यह एक विशेष प्रकार का पल्सर तारा है। जिसे देख पाना बहुत ही मुश्किल है। दरअसल, जिस प्रक्रिया से इस तारे का निर्माण हुआ है वह प्रक्रिया ब्रह्मांड में बहुत दुर्लभ है। वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया यह नया पल्सर तारा हमारी आकाशगंगा से 773 प्रकाश वर्ष दूर है। पल्सर तारे एक प्रकार के न्यूट्रॉन तारे होते हैं और तब बनते हैं जब कोई तारा अपने आकार और वजन के कारण संकुचित हो जाता है।

दूसरे तारों से कैसे अलग है यह पल्सर स्टार

आसमान में दिखाने के लिए वैसे तो कई तरह के तारे होते हैं। लेकिन यह पल्सर स्टार दूसरे तारों से बेहद अलग है। आपको बता दे की इस तरह के तारों को न्यूट्रॉन स्टार भी कहते हैं जो डेड स्टार की तरह ही दिखते हैं। यह सारे कई दिनों तक लगातार अपने केंद्र पर घूमते रहते हैं। यही वजह है कि इसके आसपास पावरफुल मैग्नेटिक फील्ड बन जाता है।