बीच में छोड़नी पड़ी पढ़ाई और पति की मौत के बाद भी नही मानी हार, बुलंद होशलें के दम पर रच दिया इतिहास

कुछ लोगों का जीवन अत्यंत संघर्ष पूर्ण होता है लेकिन फिर भी वह अपने जीवन से हार नहीं मानते हैं. नित नए दिन जीवन की चुनौतियों का सामना करते हैं. आज हम आपको ऐसी ही शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने प्रतिदिन जीवन की चुनौतियों का सामना कर खुद को काबिल बनाया.
लोगों के सामने हाथ फैलाने की बजाय उन्होंने मेहनत का रास्ता चुना. हम बात कर रहे हैं मीनू मोहंता की. उड़ीसा के जाजपुर के छोटे से गांव टमका में उनका जन्म हुआ. उनका परिवार काफी गरीब था. उनके पिता राज मिस्त्री थे. मीनू ने प्रारंभिक शिक्षा ली लेकिन सातवीं कक्षा में ही उनका विवाह कर दिया गया. उस समय वे महज 14 वर्ष की थी. उनके पति सिक्योरिटी गार्ड थे.
जानकारी के मुताबिक मीनू ने शादी के बाद भी पढ़ाई नहीं छोड़ी लेकिन नौवीं कक्षा में वे गर्भवती हो गई और उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. जब वह 23 वर्ष की थी तब उनके पति का एक सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया और मीनू के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.
उनके सामने 4 साल का बेटा तथा 6 साल की बेटी को पालने का सवाल था. बच्चों के लालन-पालन तथा शिक्षा के लिए उन्होंने स्टोन क्रेशर में काम करना शुरू कर दिया. वहां उनका काम पत्थर तोड़ना था. कुछ सालों के बाद उन्होंने एक स्टील कंपनी में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करना शुरू कर दिया. यहां काम करते हुए भी उन्होंने हार नहीं मानी तथा क्लीनिंग व्हीकल को चलाना सीख लिया.
क्रेन चलाने में निपुणता हासिल की
क्लीनिंग व्हीकल सीखने के बाद भी मीनू ने सीखना जारी रखा तथा प्लांट में चलने वाली ओवरहेड क्रेन को सीखने की कोशिश की. कंपनी के कर्मचारियों ने उनकी इच्छा को माना तथा क्रेन चलाने का अवसर प्रदान किया. अपने मेहनत और जज्बे से मीनू ने जल्द ही इसमें निपुणता हासिल कर ली.
उन्होंने एक महिला के रूप में क्रेन ड्राइवर बनकर मिसाल कायम की. उनके हौसले को देखते हुए इंडियन स्टील एसोसिएशन ने उन्हें विंग्स आफ स्टील अवार्ड से सम्मानित किया. बता दें कि यह अवार्ड केवल उन्हीं लोगों को दिया जाता है जिन्होंने इस इंडस्ट्री में कोई बड़ा मुकाम हासिल किया हो.
मीनू ने अपने बच्चों को केवल पाला ही नहीं बल्कि उन्हें शिक्षा भी दिलवाई. मीनू की बेटी अभी कॉलेज में है और उनका बेटा नौकरी कर रहा है. मीनू मोहंता की यह प्रेरणादायक कहानी सुनकर लोगों ने उनकी मेहनत को सलाम किया.