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इतनी महंगाई होने के बाद भी 5 रुपए का मिलता है Parle G Biscuit, जाने कैसे 25 साल से बिना दाम बढ़ाए कंपनी करती है कमाई

पारले जी बिस्किट पूरी दुनिया में बहुत लोकप्रिय है, और यह भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट भी है। भारत में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां आपको पारले जी बिस्कुट न मिले हों। बहुत से लोग अपने दिन की शुरुआत एक कप चाय और एक पारले जी बिस्किट के साथ करते हैं। यह बिस्किट सस्ता ही नहीं, स्वादिष्ट भी है।
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आज भी 5 रुपये में मिल रहा Parle G Biscuit, बिना दाम बढ़ाए कंपनी कैसे कमा रही मुनाफा, 25 साल से है एक ही दाम

पारले जी बिस्किट पूरी दुनिया में बहुत लोकप्रिय है, और यह भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट भी है। भारत में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां आपको पारले जी बिस्कुट न मिले। बहुत से लोग अपने दिन की शुरुआत एक कप चाय और एक पारले जी बिस्किट के साथ करते हैं। यह बिस्किट सस्ता ही नहीं, बल्कि स्वादिष्ट भी है।

समय के साथ पारले जी बिस्किट में काफी बदलाव आया है, लेकिन इसका स्वाद आज भी वैसा ही है। लंबे समय तक पारले जी के एक छोटे पैकेट की कीमत चार रुपए थी, लेकिन अब यह पांच रुपए हो गई है। ऐसे समय में जब मंहगाई लगातार बढ़ रही है और वस्तुओं की कीमतें हर दिन बदलती रहती हैं. तो यह एक बड़ा सवाल है कि पारले अपने बिस्किट की कीमत पांच रुपए पर कैसे बनाए रख पाया है।

25 साल से नहीं बढ़ाए दाम

पारले जी बिस्कुट बनाने वाली कंपनी 82 साल पुरानी है। भले ही कंपनी अच्छा कर रही है, लेकिन उसने 1994 के बाद से अपने बिस्कुट की कीमत नहीं बढ़ाई है। हालांकि, 2021 में कंपनी ने महंगाई को देखते हुए अपने बिस्कुट की कीमत 1 रुपये से 5 रुपये तक बढ़ा दी। इसके बावजूद पारले जी बिस्किट इतनी अच्छी बिक्री कर रहे हैं कि कंपनी ने पिछले 82 साल के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। लॉकडाउन के दौरान कंपनी के मार्केट शेयर में 5 फीसदी का इजाफा हुआ है और इसमें सबसे ज्यादा ग्रोथ पारले जी की बिक्री की वजह से है।

जाने कैसे प्रोफ़िट में जा रही है कम्पनी

बिस्कुट की कीमतों को समान रखने के लिए कंपनी ने कीमत बढ़ाने के बजाय अपने उत्पाद का आकार घटा दिया। उदाहरण के लिए, कंपनी ने कीमत बढ़ाने के बजाय उत्पाद का वजन 100 ग्राम से घटाकर 92.5 ग्राम कर दिया। हाल के वर्षों में जब महंगाई बढ़ी तो कंपनी ने वजन को और घटाकर 55 ग्राम कर दिया। इस तकनीक को ग्रेसफुल डिग्रेडेशन कहा जाता है और अक्सर एफएमसीजी कंपनियां इसका इस्तेमाल करती हैं। इस तकनीक में कीमत में वृद्धि नहीं की जाती बल्कि उत्पाद का वजन धीरे-धीरे कम किया जाता है ताकि ग्राहकों को इसकी आदत हो जाए।