Bank News: हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम और बैंकिंग कंपनियों के अधिग्रहण कानूनों में महत्वपूर्ण संशोधनों को लोकसभा में पेश किया। इन बदलावों का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाना है। 19 संशोधनों वाले इस बिल को पास कर दिया गया है, जो भारतीय बैंकिंग प्रणाली में कई बड़े बदलाव ला रहे हैं। इन बदलावों से न केवल बैंकिंग सेवा प्राप्त करने का तरीका बदल जाएगा, बल्कि ग्राहकों को भी नई सुविधाएं मिलेंगी।
IEPF में ट्रांसफर की सुविधा
अब डिविडेंड शेयर, इंटरेस्ट और मेच्योर बॉन्ड की रकम को IEPF (Investor Education and Protection Fund) में ट्रांसफर किया जा सकेगा। इससे उन रकमों का दावा किया जा सकेगा, जिन पर अभी तक कोई दावा नहीं किया गया है। यह कदम निवेशकों को उनके हक की राशि प्राप्त करने में मदद करेगा।
नॉमिनी की संख्या में वृद्धि
अब एक बैंक खाते के लिए चार नॉमिनी ऐड किए जा सकेंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि बैंक खाता धारक के निधन के बाद उनके परिवार के सही उत्तराधिकारी को राशि प्राप्त हो सके। पहले यह संख्या सीमित थी, लेकिन अब कई उत्तराधिकारी हो सकते हैं, जो इस राशि का दावा करेंगे।
कोऑपरेटिव बैंक के निदेशकों के कार्यकाल में बदलाव
कोऑपरेटिव बैंकों के निदेशकों का कार्यकाल अब 8 साल से बढ़ाकर 10 साल किया जाएगा। इससे निदेशकों को अपनी भूमिका को सही ढंग से निभाने और बैंक की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने का अधिक समय मिलेगा। इसके अलावा, केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक अब राज्य सहकारी बैंकों में भी सेवा दे सकेंगे।
ऑडिटर की फीस और टॉप लेवल टैलेंट को नियुक्ति का अधिकार
अब सरकारी बैंकों को ऑडिटर की फीस तय करने और टॉप लेवल टैलेंट को नौकरी पर रखने का अधिकार मिलेगा। इससे बैंकों में कामकाजी माहौल सुधरेगा और अच्छी गुणवत्ता की सेवाएं ग्राहकों को मिलेंगी।
आरबीआई रिपोर्टिंग में बदलाव
बैंकों को अब हर सप्ताह की बजाय रिपोर्टिंग के लिए 15 दिन, एक महीना, या तिमाही के आखिरी में समय दिया जाएगा। इससे बैंकों को रिपोर्टिंग में अधिक लचीलापन मिलेगा और वे अधिक समय तक सही जानकारी प्रदान कर पाएंगे।