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इस ड्रेस को पहनने के बाद मच्छर मक्खी नहीं भटकेंगे आसपास, ना ही पड़ेगी कोई मच्छरदानी की जरूरत

शाम के समय आपने देखा होगा कि माता-पिता घर के खिड़की दराजों को बंद कर देते हैं ताकि मच्छर घर के अंदर ना आ सके इसके बाद भी कई तरह के जतन किए जाते हैं
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शाम के समय आपने देखा होगा कि माता-पिता घर के खिड़की दराजों को बंद कर देते हैं ताकि मच्छर घर के अंदर ना आ सके इसके बाद भी कई तरह के जतन किए जाते हैं। जैसे की ऑल आउट लगाया जाता है मच्छरदानी लगाई जाती है। जिसमें काफी मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी दंपति की कहानी बताएंगे जो लेमनग्रास से ट्रॉलीना और पारा के धागे से खुशबूदार कपड़े को बनाते हैं जिससे मच्छर, छिपकली के अलावा अन्य कीड़े भी आपसे दूर भगाने लग जाते हैं।

इस कपड़े की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी सुगंध आपके तनाव को भी काम करती है। वही आपको बता दे कि दंपति ने इसका पेटेंट भी कर लिया है और इससे पर्दा कारपेट बैठने का आसान भी आसानी से तैयार किया जा सकता है। यह अनोखा कपड़ा सरकारी पोर्टल पर भी उपलब्ध है आप इसे आसानी से ऑर्डर भी कर सकते हैं।

पति-पत्नी ने मिलकर तैयार किया कपड़ा

आपको बता दें कि रायपुर की एकदम पट्टी ने एक ऐसा कपड़ा तैयार किया जिससे कि कीड़े मकोड़े समेत मच्छर भी आपसे बेहद दूर रहेंगे यह दंपति रायपुर की निवासी है। वही पत्नी नम्रता दिवाकर गुजरात से हैं। दोनों पति-पत्नी पेशे से फार्मासिस्ट हैं जिन्होंने लेमनग्रास और सिट्रोनेला के ऊपर औषधि शोध किया है। इसके बाद एक कपड़ा भी तैयार किया है। कपड़े का यह धागा रायपुर में तैयार किया गया कई लोग इनसे संपर्क भी कर रहे हैं।

लंबे समय तक रहेगी खुशबू

फार्मासिस्ट पत्नी नम्रता बताती है कि उन्होंने जो कपड़ा बनाया है इसकी खुशबू तीन से लेकर 5 साल तक रहेगी। उन्होंने बड़ी समझदारी से यह काम किया है। लेमनग्रास और सिट्रोनेला से तेल निकालने के बाद बचे हुए वेस्ट कपड़ो से पर्दा बनाना शुरू किया। जिसकी खुशबू 1 साल तक रहती है लेकिन से जो धागा तैयार किया जा रहा है। उसकी खुशबू अलग-अलग देश में शोध के आधार पर 3 से 5 साल तक चल रही है। दरअसल अरोमा की गंध से मच्छर छिपकली और बाकी कीड़े भी दूर भागते हैं।

मशीन का भी कराया पेटेंट

दंपति ने यह भी बताया कि कपड़े का धागा बनाने के लिए बाजार में मशीन नहीं मिल रही थी। उन्होंने कड़ी मशक्कत के बाद देश के अलग-अलग राज्यों में इंजीनियरिंग संस्थानों से संपर्क किया लेकिन फिर भी कोई काम नहीं बन पाया। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग जगह से पुर्जे खरीदे और खुद मशीन तैयार की इस मशीन को 5 जनवरी 2023 को पेटेंट भी मिल गया।