जाने किस कारण रतन टाटा की लव स्टोरी रह गई थी अधूरी, पिता और दादी के साथ था गहरा रिश्ता

रतन टाटा एक बहुत ही सफल व्यवसायी हैं जिन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। वह उस प्रकार का व्यक्ति है जो बहुत सफल होता है चाहे कुछ भी हो। उन्होंने एक बहुत ही सफल व्यापारिक साम्राज्य खड़ा किया है और दुनिया में कोई और नहीं है जो उनकी तुलना कर सके। हालाँकि, रतन टाटा को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कुछ चीजों का त्याग करना पड़ा। उन्होंने अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने कुछ व्यक्तिगत सुखों का त्याग किया।
लोग आमतौर पर सोचते हैं कि पैसा, शोहरत और इस तरह की अन्य चीजें खुशी खरीद सकती हैं, लेकिन यह हमेशा सच नहीं होता है। कुछ चीजें पैसे से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, जैसे अच्छा नाम और प्रतिष्ठा होना। लेकिन, यह जरूरी नहीं है कि हमेशा उन चीजों से आपको खुशी महसूस हो। इस 85 वर्षीय व्यक्ति के जीवन में एक बहुत बड़ा छेद है जिसे वह भर नहीं सकते।
जब रतन टाटा ने बयां किया साथी से बिछड़ने का दर्द
स्टार्टअप Goodfellows की ओपनिंग समारोह में रतन टाटा ने अपनी जिंदगी से जुड़ी एक दर्द बयां किया था, जिसे सुनाकर वहां पर बैठे लोगों के दिल भर आए थे। रतन टाटा ने कहा था, 'आप नहीं जानते कि अकेले रहना कैसा होता है? जब तक आप अकेले समय बिताने के लिए मजबूर नहीं होते तब तक अहसास नहीं होगा। वास्तव में जबतक आप बूढ़े नहीं हो जाते, तब तक किसी को भी बूढ़े होने का मन बिल्कुल भी नहीं करता।'
रतन टाटा की जुबां से यह बात यूं ही नहीं निकली थी। दरअसल, रतन टाटा को जिंदगी में चार बार प्यार हुआ, लेकिन वे कंवारे ही रहे। सबसे ज्यादा संजीदा वह उस वक्त थे, जब वो अमेरिका के लॅास एंजिल्स के एक कंपनी में काम करते थे। उस दौरान उन्हें एक लड़की से प्यार हुआ।
तभी अचानक उनकी दादी की तबियत खराब हो गई, जिसकी वजह से उन्हें भारत लौटना पड़ा। रतन टाटा को लगा था कि जिस लड़की से उन्होंने मोहब्बत की है, वो भी उनके साथ भारत आने के लिए तैयार हो जाएगी। लेकिन, ऐसा न हो सका।
1962 की भारत-चीन लड़ाई की वजह से लड़की के माता-पिता ने उसे भारत आने से रोक दिया और इस तरह दोनों की प्रेम कहानी अधूरी रह गई। रतन टाटा ने इंस्टाग्राम हैंडल 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ पर भी अपने अधूरे प्यार की बात साझा कर चुके हैं।
निदा फाजली की एक शेर है,
कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता
रतन टाटा के साथ भी मानो कुछ ऐसा ही हुआ, कुदरत ने उन्हें उस मुकाम पर पहुंचाया, जहां शायद ही कोई पहुंच सके। लेकिन, उन्होंने जो कुछ गंवाया ,वो दर्द उनके अलावा शायद ही कोई समझ सके।
पिता और दादी के साथ खट्टे मीठे यादों को किया साझा
रतन टाटा ने अपने बचपन के बारे में इंस्टाग्राम पर एक लंबा पोस्ट लिखा। उन्होंने उल्लेख किया कि उनका बचपन खुशहाल था, लेकिन जैसे-जैसे वे और उनके भाई बड़े हुए, उन्हें अपने माता-पिता के तलाक के कारण बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। लेकिन उनकी दादी उन दोनों के लिए थीं और उनका बहुत ख्याल रखती थीं।
जब मेरी माँ ने दोबारा शादी की, उसके तुरंत बाद स्कूल के लड़कों ने हमारे बारे में हर तरह की बातें करनी शुरू कर दीं। लेकिन, हमारी दादी ने हमें हर कीमत पर गरिमा बनाए रखना सिखाया, एक ऐसा मूल्य जो आज भी मेरे साथ हमेशा मौजूद है। मुझे याद है, विश्व युद्ध 2 के बाद मेरी दादी मेरे भाई और मुझे गर्मियों की छुट्टियों के लिए लंदन ले गई। वह हमसे कहती थीं, 'यह मत कहो' या 'उसके बारे में चुप रहो' और यहीं से हमें जीवन के असल मूल्यों की समझ आई।
टाटा ने अपने पोस्ट में लिखा है कि यह कहना मुश्किल है कि कौन सही है या गलत। उन्हें वायलिन बजाने में मज़ा आता था, लेकिन उनके पिता को पियानो बजाना पसंद था। वह यूएसए में कॉलेज जाना चाहता था, लेकिन उसके पिता चाहते थे कि वह यूके में कॉलेज जाए। वह आर्किटेक्ट बनना चाहता था, लेकिन उसके पिता चाहते थे कि वह इंजीनियर बने।
रतन टाटा को भारत रत्न देने की उठी मांग
रतन टाटा एक बिजनेसमैन थे जिन्होंने खूब पैसा कमाया और अपनी पूरी जिंदगी लोगों की मदद करने में लगा दी। उन्होंने युवा उद्यमियों को बढ़ावा देने का काम किया और कोरोना महामारी के दौरान मदद की। हाल ही में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिए जाने की मांग उठी है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद रघु रामकृष्ण राजू ने रतन टाटा के 85वें जन्मदिन पर उनसे मुलाकात की और उन्हें अवॉर्ड दिए जाने की मांग की।
उन्होंने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर रतन टाटा को भारत रत्न देने की मांग की। राजू ने मुर्मू को लिखे पत्र में कहा, 'इस धरती पर कई अरबपति पैदा होंगे लेकिन जो लोग स्थायी प्रभाव छोड़ते हैं, वे हैं रतन टाटा जैसे लोग। गौरतलब है कि रतन टाटा को साल 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।