Delhi Metro: मेट्रो ट्रेनों में टॉयलेट का ना होने का पहला और मुख्य कारण सुरक्षा और स्वच्छता (safety and cleanliness) से जुड़ा है। ट्रेनों में यदि टॉयलेट की सुविधा होती, तो इससे गंदगी और बदबू फैलने का खतरा बढ़ जाता। जो कि अन्य यात्रियों के लिए काफी असुविधाजनक हो सकता है।
स्थान और संरचना की समस्या
मेट्रो ट्रेनें अपने सीमित स्थान (limited space) के चलते टॉयलेट के लिए अलग स्थान उपलब्ध कराने में असमर्थ होती हैं। इसके अतिरिक्त, मेट्रो ट्रेनों में बड़ी संख्या में यात्री सवार होते हैं और इस भीड़ के बीच टॉयलेट की व्यवस्था करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं होता।
टाइम के अनुसार चलाने में दिक्कत
मेट्रो ट्रेनों का परिचालन (metro operation) स्ट्रिक्ट टाइमटेबल पर आधारित होता है। यदि ट्रेनों में टॉयलेट होते तो यात्रियों के उपयोग में समय लगता। जिससे ट्रेनों के टाइम के अनुसार चलाने में दिक्कत आ सकती है। इसका प्रभाव पूरे नेटवर्क पर पड़ सकता है।
टेक्निकल और इंफ्रास्ट्रक्चरल चैलेंज
टॉयलेट की सुविधाओं को जोड़ना टेक्निकल रूप से भी चुनौतीपूर्ण (technical challenges) हो सकता है। इसके लिए अतिरिक्त जल निकासी और सीवेज प्रबंधन की आवश्यकता होती है। जो मेट्रो के मौजूदा ढांचे में शामिल करना कठिन होता है।
यात्री व्यवहार और आवश्यकताएँ
अधिकतर मेट्रो यात्री की यात्रा छोटी होती है और वे आमतौर पर यात्रा के दौरान टॉयलेट की आवश्यकता महसूस नहीं करते (passenger needs)। इस तरह मेट्रो में टॉयलेट की अनुपस्थिति उनके लिए ज्यादा समस्या नहीं बनती।