Solar Expressway: उत्तर प्रदेश के 15 एक्सप्रेसवे में से एक बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को सोलर एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित किया जा रहा है. इस परियोजना से 550 मेगावॉट सोलर पॉवर (solar power generation) उत्पन्न की जाएगी, जो करीब एक लाख घरों को बिजली प्रदान करेगी. आज हम इस एक्सप्रेसवे के विस्तार और विकास प्रक्रिया को समझेंगे.
यूपीडा द्वारा सोलर एक्सप्रेसवे की पहल
उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (Uttar Pradesh Expressways Industrial Development Authority – UPEIDA) इस एक्सप्रेसवे को एक सोलर एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित कर रहा है. 296 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर सोलर पैनल (solar panels) स्थापित किए जाएंगे, जो इसे देश का पहला सोलर एक्सप्रेसवे बनाएगा.
भारत का पहला सोलर एक्सप्रेसवे
इस सोलर एक्सप्रेसवे परियोजना का उद्देश्य न केवल यातायात को सुविधाजनक बनाना है, बल्कि यह विशाल मात्रा में हरित ऊर्जा भी उत्पन्न करेगा. परियोजना की व्यापकता इसे भारतीय एक्सप्रेसवे नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण योजना बनाती है.
सोलर पॉवर डेवलपर्स की भूमिका
विभिन्न सोलर पॉवर डेवलपर्स जैसे कि टास्को, टोरेंट पावर, सोमाया सोलर साल्यूशन ने इस परियोजना में अपने प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं. इन डेवलपर्स की भूमिका परियोजना की सफलता में महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि वे सोलर एनर्जी के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी और नवाचार प्रदान करेंगे.
सोलर पैनल्स से ऊर्जा उत्पादन
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर सोलर पैनल्स की स्थापना से 550 मेगावॉट ऊर्जा उत्पादन (energy production) संभव होगा. यह ऊर्जा न केवल एक्सप्रेसवे की लाइटिंग और मेंटेनेंस में उपयोग होगी, बल्कि स्थानीय घरों और उद्योगों को भी सप्लाई की जाएगी.
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का औद्योगिक महत्व
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण से न केवल यातायात में सुधार होगा. बल्कि इससे जुड़े औद्योगिक विकास (industrial development) में भी बढ़ोतरी होगी. बुंदेलखंड में इससे जुड़े औद्योगिक कॉरिडोर की स्थापना से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. जिससे स्थानीय आर्थिक विकास को गति मिलेगी.