Potato Farming: एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic technique) का उपयोग करके आलू उगाने की प्रक्रिया में मिट्टी का इस्तेमाल नहीं होता है. बल्कि पौधे हवा में सस्पेंड होते हैं. यह तकनीक आलू की उपज (potato yield) को दस गुना तक बढ़ा सकती है. साथ ही इससे उत्पादित आलू की गुणवत्ता भी मिट्टी में उगाए गए आलू की तुलना में कहीं अधिक बेहतर होती है.
तकनीक की विशेषताएं और लाभ
एरोपोनिक तकनीक में बड़े बक्सों (large boxes) में आलू के पौधे लटकाकर उनकी जड़ों को नियमित रूप से पोषक तत्व (nutrients) प्रदान किए जाते हैं. इस प्रक्रिया से प्राप्त बीज पूर्णतः बीमारी रहित (disease-free seeds) होते हैं. जिससे उत्पादन में स्थिरता और बढ़ोतरी होती है.
उत्पादन प्रक्रिया और प्रबंधन
आलू के पौधों को शुरुआती दौर में कोकोपिट (coco peat) में 20 दिन तक रखा जाता है. जिसके बाद उन्हें एरोपोनिक सिस्टम में स्थानांतरित किया जाता है. इस सिस्टम में पौधों को विभिन्न पोषक तत्व उपलब्ध कराने के साथ-साथ उनके पीएच मान (pH level) की भी नियमित जाँच की जाती है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और किसानों के लिए लाभ
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक से किसानों को कम लागत में अधिक उपज (higher productivity at lower cost) मिल सकती है. एरोपोनिक तकनीक से न केवल उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. बल्कि पौधे स्वस्थ रहते हैं और उन पर कीट या रोगों का प्रकोप भी कम होता है.
तकनीक की सामाजिक और आर्थिक प्रभावशीलता
एरोपोनिक तकनीक से हर तीन महीने में आलू की उपज (potato harvesting every three months) हासिल की जा सकती है, जिससे यह कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव के रूप में उभर रही है. इससे न केवल खेती की प्रक्रिया में सुधार होता है. बल्कि यह किसानों की आय में भी बढ़ोतरी करता है.