Edible Oil Prices: भारत सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में वृद्धि की है. जिससे इन तेलों की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं. हालांकि सरकार ने प्रोसेसर्स को रिटेल प्राइस बढ़ाने से रोकने की सलाह दी है ताकि उपभोक्ताओं पर असर कम हो.
शुल्क में वृद्धि का प्रभाव
14 सितंबर 2024 से कच्चे सोयाबीन और पाम तेल पर आयात शुल्क 20% किया गया है. जबकि रिफाइंड वेरिएंट्स पर यह दर 32.5% हो गई है. इससे कच्चे तेलों पर प्रभावी शुल्क और भी बढ़ जाता है. जिसका सीधा असर खुदरा बाजारों में महसूस किया जा सकता है.
स्टॉक और मांग की स्थिति
खाद्य सचिव के अनुसार वर्तमान में खाद्य तेलों का स्टॉक भारतीय बाजारों में 30 लाख टन तक है, जो कि अगले 45 से 50 दिनों की घरेलू खपत के लिए पर्याप्त है. इस स्टॉक को देखते हुए प्रोसेसर्स को खुदरा कीमतें स्थिर रखने की सलाह दी गई है.
कीमत नियंत्रण के निर्देश
सरकार ने खाद्य तेल प्रोसेसर्स को निर्देश दिया है कि वे एमआरपी बढ़ाने से परहेज करें और मौजूदा स्टॉक का उपयोग करें. यह निर्णय खाद्य तेलों की कीमतों में अचानक उछाल को रोकने और उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है.
बैठक और उद्योग की प्रतिक्रिया
खाद्य सचिव ने विभिन्न खाद्य तेल संघों के साथ बैठक कर मौजूदा शुल्क वृद्धि और उसके प्रभावों पर चर्चा की. उद्योग प्रतिनिधियों ने सरकार के निर्देशों का समर्थन किया और बाजार में स्थिरता बनाए रखने की बात कही.