शिक्षा हर व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि कई बच्चे पढ़ाई के नाम से ही डर जाते हैं। लेकिन ऐसे भी लोग होते हैं जो शिक्षा को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना लेते हैं और अपनी मेहनत और ज्ञान से समाज में एक अलग पहचान बनाते हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति थे श्रीकांत जिचकर जिन्हें भारत के सबसे पढ़े-लिखे व्यक्ति के रूप में जाना जाता है।
श्रीकांत जिचकर का परिचय
श्रीकांत जिचकर का जन्म 14 सितंबर 1954 को हुआ था। उनकी शिक्षा और ज्ञान के प्रति लगन ने उन्हें एक असाधारण व्यक्ति बना दिया। वे बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे थे और विभिन्न विषयों में उनकी गहरी रुचि थी।
शैक्षणिक सफर
श्रीकांत जिचकर ने अपने शैक्षणिक जीवन में कई डिग्रियाँ हासिल कीं। उनके पास MBBS, MBA और LLB सहित कुल 20 डिग्रियाँ थीं। उन्होंने न केवल चिकित्सा विज्ञान में महारत हासिल की। बल्कि व्यापार प्रबंधन और कानून में भी अपनी पहचान बनाई। उनकी शैक्षणिक योग्यता और मेहनत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इतने विविध क्षेत्रों में डिग्रियाँ प्राप्त कीं।
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज
श्रीकांत जिचकर की उपलब्धियाँ यहीं समाप्त नहीं होतीं। उनका नाम आधिकारिक रूप से लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भारत के सबसे योग्य व्यक्ति के रूप में दर्ज है। यह एक बड़ी उपलब्धि है और यह दर्शाता है कि उन्होंने अपने ज्ञान और शिक्षा से कितना ऊँचा मुकाम हासिल किया।
श्रीकांत की पर्सनल लाइब्रेरी
श्रीकांत जिचकर को किताबों से बहुत प्यार था। उनके पास तकरीबन 52000 किताबों की पर्सनल लाइब्रेरी थी। यह उनकी ज्ञान पिपासा और अध्ययन की रुचि का प्रमाण है। उनकी लाइब्रेरी में विभिन्न विषयों की किताबें थीं। जो यह दर्शाती हैं कि वे कितने विविध और गहरे ज्ञान के धनी थे।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा
श्रीकांत जिचकर ने साल 1978 में पहली बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दी और उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के लिए हुआ। यह उनके कठिन परिश्रम और ज्ञान की एक और मिसाल है। यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को पास करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है और उन्होंने इसे अपने पहले ही प्रयास में हासिल किया।
दूसरी बार परीक्षा और IAS चयन
श्रीकांत जिचकर की शिक्षा और ज्ञान के प्रति लगन ने उन्हें दूसरी बार यूपीएससी परीक्षा देने के लिए प्रेरित किया। इस बार उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के लिए हुआ। यह उनके ज्ञान और क्षमता का एक और प्रमाण है कि वे दो बार यूपीएससी परीक्षा पास कर पाए।
नौकरी से इस्तीफा और राजनीति में कदम
हालांकि श्रीकांत जिचकर ने बाद में IAS की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में कदम रखा। उन्होंने राज्य मंत्री, राज्यसभा सदस्य और महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएँ दीं। उनकी राजनीति में रुचि और सेवा भावना ने उन्हें एक सफल राजनेता बनाया।