Vande Bharat: भारतीय रेलवे की वंदे भारत एक्सप्रेस जो अब तक केवल चेयरकार सुविधाओं के साथ यात्रियों की सेवा कर रही है. उसके स्लीपर वर्जन को लेकर बड़ी उम्मीदें हैं. हालांकि इसकी लॉन्चिंग में देरी की संभावना है. जिसका कारण रूसी कंपनी TMH के साथ हुए करार के बावजूद स्लीपर कोच डिजाइन की अंतिम स्वीकृति में विलंब है. भारतीय रेलवे अपने कोचों में अधिक टॉयलेट्स और पैंट्री कार की मांग कर रहा है. जिससे लागत में बढ़ोतरी हो सकती है.
रूसी साझेदारी और भारतीय चुनौतियां
Kinetic Railway Solutions एक साझेदारी उद्यम (SPV) जिसमें रूसी कंपनी TMH और भारतीय रेलवे का PSU RVNL शामिल है. TMH ने वंदे भारत के 1,920 स्लीपर कोच बनाने का ठेका लिया है. TMH के CEO किरिल लिपा का कहना है कि वे इस वर्ष के अंत तक पहले प्रोटोटाइप की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन भारतीय रेलवे की डिजाइन में बदलाव की मांगों ने उन्हें फिर से काम पर लौटने को मजबूर किया है.
जटिलताओं में विलंब और संशोधन
टीएमएच और भारतीय रेलवे के बीच चल रहे डिजाइन संशोधनों के कारण प्रोजेक्ट में देरी हो रही है. यदि भारतीय रेलवे इस प्रक्रिया को स्थगित करता है तो इससे और भी अधिक देरी हो सकती है. किनेट ने डिजाइन में बदलावों के लिए अतिरिक्त समय और बजट की भी मांग की है.
भविष्य की तैयारियां और सरकारी प्रयास
रूस और भारत के बीच हुई उच्च स्तरीय बैठकों में इस प्रोजेक्ट को गति देने के लिए चर्चाएं हुई हैं. भारतीय रेलवे ने दावा किया है कि तकनीकी बदलाव अनुबंध के अनुसार आवश्यक थे और उनके अनुसार बदलाव किए गए हैं. यह देखते हुए कि वंदे भारत ट्रेन का स्लीपर वर्जन जल्द ही भारतीय पटरियों पर दौड़ना शुरू कर सकता है. यह भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा.