सरकार द्वारा चलाई जा रही “मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना” पशुपालकों के लिए एक वरदान सिद्ध हो रही है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य है पशुपालन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना और उन्हें स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना। इस योजना के तहत पशुपालकों को दुधारू पशुओं जैसे कि गाय और भैंस की खरीद पर 90% तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है। जिससे उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने में सहायता मिलती है।
कितनी मिलेगी सब्सिडी
इस योजना के अंतर्गत विशेष रूप से निराश्रित और विकलांग महिलाओं को दी जाने वाली 90% सब्सिडी एक बड़ी सहायता है। इसके अलावा अन्य सभी लाभार्थियों को 75% की सब्सिडी दी जाती है। जिससे वे अपने पशुपालन व्यवसाय को विस्तार दे सकें। उदाहरण के लिए यदि किसी महिला पशुपालक को दो दुधारू पशु खरीदने पर 1,50,000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, तो उन्हें 1,35,000 रुपये की सब्सिडी प्राप्त होगी और उन्हें केवल 15,000 रुपये खुद खर्च करने होंगे।
चैफ कटर पर भी मिलेगी सब्सिडी
पशुधन के लिए चारा काटने की मशीन यानी चैफ कटर पर भी सरकार द्वारा सब्सिडी प्रदान की जाती है। इससे पशुपालकों को अपने दैनिक कामों में सुविधा होती है और समय की बचत होती है। अनुसूचित जाति और जनजाति के पशुपालकों को 90% तक की सब्सिडी मिलती है, जबकि अन्य वर्गों के लिए यह 75% है।
डेयरी खोलने पर भी मिलेगी सब्सिडी
किसान जो डेयरी फार्मिंग शुरू करना चाहते हैं, उन्हें भी सब्सिडी का लाभ मिलता है। 5 से 10 गाय या भैंसों की डेयरी खोलने पर विभिन्न सब्सिडी दरें लागू होती हैं। जिससे किसानों को अपना व्यवसाय आरंभ करने में मदद मिलती है।
आवेदन प्रक्रिया और दस्तावेज़
इस योजना का लाभ उठाने के लिए, इच्छुक लाभार्थी को अपने निकटतम पशुधन विकास कार्यालय में जाकर आवेदन करना होता है। आवेदन के समय आवश्यक दस्तावेज़ जैसे कि आधार कार्ड, बैंक विवरण, जाति प्रमाण-पत्र और आय प्रमाण-पत्र आदि जमा करने होते हैं।
इस योजना के तहत महिलाएं और पशुपालक किसान पशुपालन के माध्यम से न केवल अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। बल्कि स्थायी रूप से आर्थिक रूप से सशक्त भी बन सकते हैं। यह योजना उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करती है और साथ ही सामाजिक स्थिति में सुधार करती है।