केंद्र सरकार के उद्यमशीलता बढ़ाने वाले कार्यक्रम ‘मेक इन इंडिया’ ने विश्व स्तर पर एक नयी पहचान स्थापित की है। विशेष रूप से भारत में निर्मित टेलीकॉम इक्विपमेंट अब 100 से अधिक देशों में निर्यात किए जा रहे हैं, जो इस कार्यक्रम की शानदार सफलता को दर्शाता है। आज हम देखेंगे कि कैसे भारत ने अपनी तकनीकी और निर्माण क्षमताओं का प्रयोग करते हुए वैश्विक बाजार में एक जबरदस्त स्थान बनाया है।
पश्चिमी देशों में बढ़ती भारतीय प्रौद्योगिकी की पहुंच
दूरसंचार विभाग (DoT) के डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन के सदस्य मधु अरोड़ा के अनुसार भारतीय टेलीकॉम उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता ने पश्चिमी देशों विशेषकर अमेरिका में अपनी एक मजबूत पहचान स्थापित की है।
हाल ही में भारतीय सेना ने भी देश में विकसित 4G मोबाइल बेस स्टेशनों को अपनाया है, जो कि उनके अपने रिसर्च और विकास कार्यों में सहायक होंगे। यह इस बात का प्रमाण है कि भारतीय उत्पाद अब केवल घरेलू नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिस्पर्धी और विश्वसनीय हैं।
अफ्रीका और अन्य उभरते बाजारों में प्रभाव
अफ्रीकी बाजारों में भारत का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। खासकर उभरती हुई तकनीकों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और ब्लॉकचेन के क्षेत्र में। भारत ने अफ्रीकी महाद्वीप में $75 बिलियन का निवेश कर टॉप-5 निवेशकों में स्थान प्राप्त किया है। यह न केवल भारत की आर्थिक क्षमता को दर्शाता है बल्कि यह भी बताता है कि भारतीय कंपनियां कैसे वैश्विक स्तर पर अपनी तकनीकी दक्षता और नवाचार क्षमता को स्थापित कर रही हैं।
मेक इन इंडिया
‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत भारत ने न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रतिष्ठा को मजबूत किया है। Google, Apple, Samsung जैसी वैश्विक टेक कंपनियां भारत में अपने उत्पादों का निर्माण कर रही हैं और ये उत्पाद विश्व बाजार में निर्यात किए जा रहे हैं।
इससे भारत का आर्थिक एवं तकनीकी दर्जा वैश्विक मंच पर सुदृढ़ हुआ है। इस नीति की सफलता ने भारत को एक विश्वसनीय विनिर्माण हब के रूप में स्थापित किया है, जिससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़े हैं बल्कि आर्थिक विकास की नई संभावनाएं भी खुली हैं।