आज के समय में बिजली हमारी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है. घरों में बिजली की खपत को मापने और बिल तैयार करने के लिए इलेक्ट्रिक मीटर लगाए जाते हैं. ये मीटर हर घर में बहुत ही आम होते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये मीटर आखिर काम कैसे करते हैं और किस तरह से आपकी बिजली की खपत को रिकॉर्ड करते हैं? आइये आज हम आपको बताते हैं कि इलेक्ट्रिक मीटर कैसे काम करता है और कैसे यह आपकी बिजली की खपत को मापता है.
अधिकतर घरों में लगे होते हैं इलेक्ट्रिक मीटर
बिजली की खपत को मापने के लिए हर घर में इलेक्ट्रिक मीटर लगाए जाते हैं. ये मीटर मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं – इलेक्ट्रोमैकेनिक और इलेक्ट्रॉनिक. अधिकतर पुराने घरों में अब भी इलेक्ट्रोमैकेनिक मीटर का इस्तेमाल किया जाता है. जबकि नए घरों और अपार्टमेंट्स में इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाए जाते हैं. इन मीटरों का मुख्य उद्देश्य बिजली की खपत को मापना और उपभोक्ता के लिए बिल तैयार करना होता है.
कैसे होता है बिल तैयार
इलेक्ट्रिक मीटर की मदद से आपकी बिजली की खपत को रिकॉर्ड किया जाता है. यह मीटर आपके घर के कुल इलेक्ट्रिकल लोड को मापता है और फिर उस हिसाब से यूनिट्स में आपकी खपत को दर्ज करता है. इन यूनिट्स के आधार पर ही बिजली कंपनी आपके लिए बिल तैयार करती है. आपके द्वारा उपभोग की गई यूनिट्स और बिजली के टैरिफ के आधार पर आपका मासिक या द्वैमासिक बिल बनता है.
इलेक्ट्रिक मीटर कैसे काम करता है?
इलेक्ट्रिक मीटर की कार्यप्रणाली बहुत ही सरल लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण होती है. बिजली के मीटर मुख्यत: दो हिस्सों में बंटे होते हैं – एक हिस्से में वोल्टेज कॉय्ल होती है और दूसरे हिस्से में करंट कॉय्ल. ये दोनों कॉय्ल मिलकर बिजली की खपत को मापने का काम करते हैं.
इलेक्ट्रोमैकेनिक मीटर
ज्यादातर पुराने घरों में इलेक्ट्रोमैकेनिक मीटर का इस्तेमाल होता है. इसमें एक मेटल डिस्क होती है जो वोल्टेज और करंट के अनुसार घूमती है. वोल्टेज कॉय्ल में करंट बहुत तेजी से पास होता है जबकि करंट कॉय्ल में धीमे-धीमे करंट गुजरता है. इन दोनों के बीच पैदा होने वाले मैग्नेटिक फील्ड की वजह से मेटल डिस्क घूमने लगती है. डिस्क की यह गति आपकी खपत को रिकॉर्ड करती है. जिसे फिर यूनिट्स में परिवर्तित कर लिया जाता है.
वोल्टेज और करंट कॉय्ल
वोल्टेज कॉय्ल और करंट कॉय्ल इलेक्ट्रिक मीटर के महत्वपूर्ण घटक होते हैं. वोल्टेज कॉय्ल से बहुत ही तेजी से करंट गुजरता है. जिससे कि मेटल डिस्क घूमने के लिए प्रेरित होती है. वहीं करंट कॉय्ल में धीमे-धीमे करंट गुजरता है. जिससे डिस्क की गति नियंत्रित होती है. ये दोनों कॉय्ल मिलकर डिस्क को इतनी गति प्रदान करते हैं. जिससे कि आपकी बिजली की खपत सही-सही मापी जा सके.