Taj Mahal Lighting: भारतीय वास्तुकला की भव्यता और उसकी सुंदरता न केवल दिन में बल्कि रात के विशेष अवसरों पर भी अपनी अलग छटा बिखेरती है. अकबर का मकबरा (Akbar’s Tomb lighting) हो या आगरा का किला, विशेष अवसरों पर ये इमारतें जगमगाती हुई नजर आती हैं और त्योहारों या विशेष दिवसों पर इनकी लाइटिंग देखने लायक होती है.
ताजमहल में क्यों नहीं होती है लाइटिंग?
आगरा का ताजमहल जो कि दुनिया भर में अपनी जबरदस्त सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. विशेष उत्सवों पर लाइटिंग (Taj Mahal lighting restrictions) से अछूता रहता है. इसके पीछे की वजहें संरक्षण और सुरक्षा संबंधित हैं.
इतिहास में ताजमहल की दो बार लाइटिंग
वैसे तो ताजमहल में लाइटिंग की इतिहास में दो बार ऐसे अवसर आए जब इसे दूधिया रोशनी (Taj Mahal special lighting events) से नहलाया गया. पहली बार द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होने पर और दूसरी बार 1997 में ग्रीक पियानोवादक यान्नी के कॉन्सर्ट के दौरान ताजमहल को रोशनी से सजाया गया था.
जीत का जश्न और ताजमहल की रोशनी
ताजमहल की पहली लाइटिंग द्वितीय विश्व युद्ध के जीत के जश्न (Taj Mahal WWII celebration lighting) के तौर पर की गई थी. 8 मई 1945 को जब मित्र देशों ने जर्मनी के खिलाफ जीत हासिल की तब अंग्रेजों ने इस ऐतिहासिक जीत को उत्सव के रूप में मनाने के लिए ताजमहल को दूधिया रोशनी से रोशन किया था.
यान्नी का कॉन्सर्ट और ताजमहल की लाइटिंग
1997 में यान्नी के कॉन्सर्ट (Taj Mahal Yanni concert lighting) के दौरान ताजमहल की दूसरी बार रोशनी की गई थी. यह इवेंट पूरी दुनिया में लाइव देखा गया था. जिससे ताजमहल की खूबसूरती को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया गया था.
पर्यावरणीय चिंताएं और ताजमहल
हालांकि, इस इवेंट के बाद ताजमहल परिसर में मरे हुए कीड़े पाए गए, जो लाइट से आकर्षित होकर आए थे और दीवारों पर मल त्याग कर उसे खराब कर रहे थे. इससे ताजमहल की संरक्षण स्थिति पर प्रश्न उठे और इसके बाद से ताजमहल पर लाइटिंग बंद कर दी गई.
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
इन घटनाओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में बिना पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन के किसी भी प्रकार का आयोजन (Taj Mahal event restrictions) नहीं किया जा सकता. इससे ताजमहल की सुंदरता को संरक्षित रखने में मदद मिली है.