अरहर जिसे तूर दाल भी कहा जाता है। भारत में खरीफ की एक प्रमुख दलहनी फसल है। इसकी खेती मुख्यतः बारिश के मौसम में की जाती है और यह भारतीय थालियों में एक अहम स्थान रखती है। बिहार सरकार ने अरहर की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजना शुरू की है। जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके।
अरहर प्रोत्साहन योजना की शुरुआत
कृषि विभाग ने ‘अरहर प्रोत्साहन योजना’ के अंतर्गत 12.80 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। जिसके तहत राज्य के 11 जिलों में अरहर की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है किसानों को आत्मनिर्भर बनाना और दलहन उत्पादन को बढ़ावा देना।
सब्सिडी के माध्यम से सहायता
किसानों को अरहर की खेती के लिए बीज पर 80% तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इस योजना के तहत एक किसान अधिकतम 2 एकड़ जमीन पर खेती कर सकता है। जिसके लिए उसे 16 किलो बीज सब्सिडी पर उपलब्ध कराए जाएंगे। यह व्यवस्था किसानों के लिए आर्थिक रूप से बहुत फायदेमंद सिद्ध होगी।
लक्षित जिले और उनका महत्व
यह योजना खासकर दक्षिण बिहार के उन जिलों के लिए है। जहां बारिश कम होती है। ऐसे जिलों में अरहर की खेती को प्रोत्साहित करने से किसानों की आय में सुधार होगा और खेती की तकनीकी में विविधता आएगी। इस योजना के अंतर्गत गया, जहानाबाद, अरवल, नवादा, औरंगाबाद, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई, बांका और नालंदा जिले शामिल हैं।
प्रमाणित बीजों का प्रावधान
किसानों को अरहर की खेती के लिए 10 वर्ष से कम अवधि की प्रमाणित बीज उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होगी। यह व्यवस्था किसानों को अधिक उत्पादकता प्राप्त करने में मदद करेगी और उनकी आय में स्थायी वृद्धि सुनिश्चित करेगी।
ऑनलाइन आवेदन की सुविधा
सरकार ने इस योजना के तहत बीज प्राप्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा शुरू की है। इससे किसान अपने घर बैठे ही योजना का लाभ उठा सकते हैं और प्रक्रिया में आसानी होगी। यह प्रणाली किसानों को अधिक पारदर्शी और सुगम सेवा प्रदान करती है।
उम्मीद की नई किरण
बिहार सरकार की इस पहल से न केवल अरहर की खेती को बढ़ावा मिलेगा बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। यह योजना राज्य में दलहनी फसलों के उत्पादन को नई दिशा देने का काम करेगी और किसानों को नई तकनीकी और संसाधनों से जोड़ेगी, जिससे वे अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकें।