Urban Poverty Levels: केंद्र सरकार ने नागरिक निकायों के साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण पहल की है. जिसमें कम आय वाले परिवारों (low-income families) की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण किया जाएगा. यह सर्वेक्षण विशेष रूप से शहरी गरीबी (urban poverty) के स्तर को मापने के लिए निर्माण श्रमिक, गिग श्रमिक, अपशिष्ट श्रमिक, देखभाल श्रमिक, घरेलू श्रमिक और परिवहन श्रमिक जैसे श्रमिक समूहों पर केंद्रित होगा.
सर्वेक्षण का दायरा और महत्व
1 अक्टूबर से शुरू हो चुका यह सर्वेक्षण कोलकाता, चेन्नई, विशाखापत्तनम, आगरा, इंदौर और वाराणसी सहित देशभर के 25 शहरों (25 cities across India) को कवर करेगा. इसका उद्देश्य उन परिवारों की स्थितियों को बेहतर ढंग से समझना है जिन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की आवश्यकता सबसे अधिक है.
लाभार्थियों की पहचान और योजना से जोड़ना
केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs) के अनुसार एक बार गणना और प्रोफाइलिंग पूरी हो जाने पर विभिन्न केंद्रीय और राज्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभार्थियों को उचित योजनाओं से जोड़ना सरल होगा. यह कदम समग्र रूप से परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करेगा.
शहरी गरीबी की चुनौतियाँ और आगे की दिशा
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और मानव विकास संस्थान के अनुसार भले ही शहरी गरीबी दर में प्रतिशत के हिसाब से सुधार हुआ है. लेकिन शहरीकरण की दर में वृद्धि के कारण शहरी गरीबों की संख्या बढ़ी है. इस तथ्य को समझने से सरकार और नीति निर्माता अधिक प्रभावी उपाय कर सकते हैं.
नई योजनाओं की ओर कदम
इस सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी का उपयोग करके केंद्र सरकार दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM) की जगह लेने वाली नई योजना विकसित कर रही है. इस नवीनीकृत योजना से शहरी आजीविका मिशन को नया आकार दिया जाएगा.
कौशल विकास और स्व-रोजगार के नए अवसर
सर्वेक्षण के परिणामों को उपयोग में लाते हुए, सरकार मौजूदा कौशल विकास योजनाओं (skill development schemes) को मजबूती प्रदान करने और सूक्ष्म ऋण सुविधाओं का विस्तार करने जा रही है. इससे व्यक्तियों को स्व-रोजगार के लिए बेहतर संसाधन और सहायता प्रदान की जाएगी.