केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2024 में कैपिटल गेन्स टैक्स के नियमों में बड़े बदलाव की घोषणा की है। सरकार ने पुरानी संपत्ति बेचकर कम कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाने के रास्ते को बंद कर दिया है। इंडेक्सेशन बेनिफिट को खत्म करने का फैसला लेते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि अब टैक्सपेयर और टैक्स अधिकारियों दोनों के लिए टैक्स का आकलन करना सरल हो जाएगा।
इंडेक्सेशन बेनिफिट क्या था?
अब तक संपत्ति की बिक्री के बाद विक्रेता के लाभ की गणना इंडेक्सेशन बेनिफिट के जरिए की जाती थी। आयकर विभाग द्वारा जारी किया गया कॉस्ट इन्फ़्लेशन इंडेक्स (CII) इस बेनिफिट के आधार पर काम करता था। इसके जरिए संपत्ति की खरीद कीमत को मुद्रास्फीति से समायोजित किया जाता था। जिससे विक्रेता के लाभ को कम दिखाया जाता था और इस पर 20% टैक्स वसूला जाता था।
नया नियम क्या है?
बजट 2024-25 के तहत अब इंडेक्सेशन बेनिफिट को खत्म कर दिया गया है। अब लाभ की सीधी गणना होगी। लेकिन टैक्स की दर को 20% से घटाकर 12.5% कर दिया गया है। यह नया नियम संपत्ति बेचने वालों पर भारी पड़ सकता है क्योंकि अब उन्हें अधिक टैक्स चुकाना होगा।
मिस्टर एक्स का उदाहरण
मिस्टर एक्स ने वर्ष 2003-04 में ₹10 लाख में एक संपत्ति खरीदी थी और हाल ही में इसे ₹44 लाख में बेचा। पुराने नियमों के अनुसार उनका लाभ ₹34 लाख नहीं बल्कि इंडेक्सेशन के बाद ₹12.1 लाख माना जाता और उन्हें 20% कैपिटल गेन्स टैक्स के रूप में ₹2.42 लाख चुकाना होता। लेकिन नए नियमों के तहत, उन्हें ₹34 लाख के लाभ पर 12.5% टैक्स चुकाना होगा, जो ₹4.25 लाख बनता है। यह रकम पुराने नियमों के अनुसार चुकाई जा रही रकम से 75.6% ज्यादा है।
करदाताओं पर प्रभाव
इस नए नियम का सीधा असर उन करदाताओं पर पड़ेगा जो अपनी पुरानी संपत्तियों को बेचने की योजना बना रहे थे। अब उन्हें ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा। जिससे उनकी लाभ की राशि कम हो जाएगी। यह नया नियम खासतौर पर उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो पहले इंडेक्सेशन बेनिफिट का फायदा उठाकर कम टैक्स चुकाते थे।