भारतीय खेती-किसानी की तस्वीर तेजी से बदल रही है। जहाँ अब महिलाएं भी कृषि कार्यों में सक्रिय रूप से हिस्सा ले रही हैं। इसी बदलाव की अगुवाई करते हुए। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की रहने वाली हितेश चौधरी प्राकृतिक खेती को अपनाकर नई सफलता की कहानियां गढ़ रही हैं।
हितेश चौधरी प्राकृतिक खेती की पैरोकार
हितेश चौधरी जो गांव चक छावी की निवासी हैं। हितेश चौधरी ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से खेती के क्षेत्र में नई तकनीक किया है। साल 2002 में पतंजलि से जुड़ने के बाद उन्होंने 2018 में प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत निशुल्क प्रशिक्षण देना शुरू किया। उनकी ये पहल किसान समुदाय में बदलाव की लहर ले आई है।
जैविक खेती से जुड़ी चुनौतियां और समाधान
हितेश ने रासायनिक खादों के अधिक प्रयोग से होने वाली बीमारियों के प्रति किसानों को जागरूक किया। उन्होंने अपनी शिक्षा और अनुभव का उपयोग करते हुए ओजस्विनी महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीक सिखाई। जिससे वे गन्ने की खेती को प्राकृतिक रूप से कर सकें।
प्राकृतिक उत्पादों का विविधीकरण
हितेश ने 16 अप्रैल 2021 को एक किसान प्रोड्यूसर कंपनी का गठन किया और एफपीओ की स्थापना की। जिससे विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों का निर्माण और विपणन संभव हो सका। इनमें आम, कटहल, करौंदा और नींबू के अचार, साथ ही मिलेट्स से बने उत्पाद जैसे मल्टीग्रेन आटा और रागी का आटा शामिल हैं।
प्राकृतिक खेती का प्रभाव
हितेश ने बताया कि उनके प्रयासों से 200 से अधिक जिले के किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं। उनकी इन पहलों ने किसानों को न केवल बेहतर खेती करने का मार्गदर्शन दिया। बल्कि उन्हें जैविक उत्पादन के लिए भी प्रोत्साहित किया।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा
हितेश चौधरी न केवल खेती के क्षेत्र में एक नवाचारी किसान हैं। बल्कि वह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी सफलता और दृढ़ संकल्प ने साबित किया है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के बराबरी का दावा कर सकती हैं और कृषि क्षेत्र में तो विशेष रूप से।
खेती की बदलती सूरत
हितेश चौधरी की कहानी ने खेती की पारंपरिक छवि को बदल दिया है और यह दिखाया है कि किस तरह प्राकृतिक खेती न सिर्फ पर्यावरण के लिए अच्छी है बल्कि यह आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है। उनका यह प्रयास अन्य किसानों के लिए एक उदाहरण और प्रेरणा का कारण बन रहा है। जिससे भारतीय कृषि की नई दिशा और धारा निर्धारित हो रही है।