Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है. भारतीय इतिहास के सबसे प्रखर विद्वानों में से एक थे. उनकी नीतियाँ आज भी लोगों के जीवन में मार्गदर्शन करती हैं. चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में जीवन के हर पहलू के लिए कुछ न कुछ उपदेश मिलता है. चाहे वह शिक्षा हो, मित्रता हो या दुश्मनों से निपटने का तरीका. उनकी नीतियों में दी गई शिक्षा आज भी प्रासंगिक है और जीवन को सफल और संतुलित बनाने में सहायक है.
अति सर्वत्र वर्जयेत्:
चाणक्य नीति में स्पष्ट कहा गया है कि किसी भी चीज की अति (excess in life) हमेशा हानिकारक होती है. चाहे वह धन हो, भोजन हो या कोई अन्य चीज़, किसी भी चीज का अति उपयोग व्यक्ति को हानि पहुँचा सकता है. जीवन में संतुलन बनाए रखना और किसी भी चीज की लत से बचना ही सही राह है. संतुलन जीवन की सफलता का पहला कदम है.
विद्या मित्रं प्रवासेषु:
चाणक्य कहते हैं कि जब व्यक्ति विदेश या किसी अनजान स्थान पर होता है, तो उसका सबसे बड़ा मित्र (education as friend) उसकी शिक्षा होती है. शिक्षा एक ऐसा हथियार है. जिससे किसी भी परिस्थिति का सामना किया जा सकता है. शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मानित होता है और उसे हर जगह आदर प्राप्त होता है. इसलिए शिक्षा को हमेशा सबसे महत्वपूर्ण मानना चाहिए और इसका सम्मान करना चाहिए.
आत्मानं सततं रक्षेत्:
चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को हमेशा अपनी सुरक्षा (self-protection) पर ध्यान देना चाहिए. चाहे कोई भी परिस्थिति हो, आत्म-संरक्षण सबसे प्राथमिक होना चाहिए. अपनी सुरक्षा को अनदेखा करना व्यक्ति के जीवन को खतरे में डाल सकता है. आत्म-संरक्षण का अर्थ सिर्फ शारीरिक सुरक्षा नहीं है. बल्कि मानसिक और भावनात्मक सुरक्षा का ध्यान रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
कान्तारं पतितं मित्रं:
आचार्य चाणक्य के अनुसार एक सच्चे मित्र का कर्तव्य होता है कि वह अपने मित्र की सहायता (help friends in need) संकट के समय करे. अगर मित्र संकट में है, तो उसकी जल्द से जल्द सहायता करना ही सच्ची मित्रता का धर्म है. मित्रता केवल सुख के समय की नहीं होती. बल्कि असली परीक्षा तब होती है जब संकट आता है.
प्राज्ञो मित्रेण सम्प्रयोज्यते:
चाणक्य नीति के अनुसार बुद्धिमान व्यक्ति को हमेशा विद्वानों या बुद्धिमान मित्रों (association with wise people) के साथ रहना चाहिए. विद्वानों का संग व्यक्ति की बुद्धि को प्रखर बनाता है और उसे जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. गलत संगति व्यक्ति को गलत दिशा में ले जा सकती है. इसलिए संगति का चुनाव हमेशा सोच-समझकर करना चाहिए.
नास्ति विद्या समं चक्षुः
आचार्य चाणक्य का मानना था कि विद्या से बढ़कर (importance of knowledge) कुछ भी नहीं है. विद्या व्यक्ति को वह शक्ति और साधन देती है, जो उसे किसी और माध्यम से नहीं मिल सकते. विद्या का सम्मान और उपयोग करने से व्यक्ति अपने जीवन को उच्च शिखर पर ले जा सकता है. यह व्यक्ति को स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाती है.
दुष्ट मित्र से दूरी बनाए रखें
चाणक्य नीति में कहा गया है कि दुष्ट मित्र (bad company) से हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए. दुष्ट स्वभाव वाला मित्र विश्वास के योग्य नहीं होता और वह कभी भी व्यक्ति को धोखा दे सकता है. ऐसे मित्रों से जीवन में केवल कष्ट और समस्याएँ ही मिलती हैं. इसलिए मित्र का चुनाव हमेशा सोच-समझकर करें. क्योंकि अच्छे मित्र जीवन में सफलता और शांति लाते हैं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं इंटरनेट से ली गई हैं। Dharataltv.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)