ऐसे शिक्षकों का तुरंत करें त्याग, वरना आपके धन के साथ करियर दोनों हो जाएंगे बर्बाद

शिक्षक पहले लोग होते हैं जो बच्चों को जीवन के बारे में सिखाते हैं। माता-पिता के बाद, शिक्षक बच्चे के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति होते हैं। कबीर ने कहा है कि गुरु ईश्वर के समान है, क्योंकि गुरु के बिना बच्चा सही चीजें नहीं सीख सकता।
एक शिष्य के लिए अपने गुरु के साथ अच्छे संबंध होना बहुत जरूरी है, लेकिन यह भी गुरु का दायित्व है कि वह शिष्य को सही दिशा में ले जाए। चाणक्य ने कहा कि जीवन में एक शिक्षक का त्याग करना ठीक है यदि वे एक शिष्य को सही दिशा में बढ़ने में मदद कर रहे हैं।
त्यजेद्धर्म दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत्।
त्यजेत्क्रोधमुखी भार्या निःस्नेहान्बान्धवांस्यजेत्॥
दया धर्म का मूल है
चाणक्य ने कहा है कि जिस धर्म में दया की भावना न हो, उसका त्याग कर देना ही श्रेयस्कर है। धर्म दया और करुणा पर आधारित है, इसलिए हमारे धर्म में उस भावना का होना जरूरी है। अगर हम हमेशा दूसरों पर दया करते हैं, तो चाहे कुछ भी हो जाए हम खुश रहेंगे।
विद्याहीन गुरु
गुरु आपको कबीर के तरीके सिखाते हैं, ताकि आप अपनी आध्यात्मिक यात्रा में सीख सकें और आगे बढ़ सकें। लेकिन अगर गुरु के पास स्वयं कोई ज्ञान नहीं है, तो वह आपको वह कैसे सिखा सकते हैं जो आपको जानना चाहिए? एक ऐसे गुरु को खोजना बेहतर है जिसके पास ज्ञान हो और जो आपको आपके आध्यात्मिक मार्ग पर मार्गदर्शन कर सके।
रिश्तेदार
रिश्ते प्यार और भरोसे पर टिके होते हैं। चाणक्य के अनुसार, जिन रिश्तेदारों के मन में आपके लिए बहुत प्यार और स्नेह नहीं है, उनसे दूर रहना ही बेहतर है। हो सकता है कि ये रिश्तेदार केवल खुशी के समय में ही हों, लेकिन जब आप कठिन परिस्थिति में हों, तो वे जल्दी से गायब हो जाएंगे और आपका फायदा उठा सकते हैं।
[Disclaimer: यहां प्राप्त जानकारी सिर्फ मान्यताओं पर आधारित है। Dharatal Tv किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।]