Indian Railways: भारतीय रेल में बिना टिकट यात्रा करने वाले यात्रियों की बढ़ती संख्या न केवल ट्रेनों में भीड़ (overcrowding) को बढ़ाती है। बल्कि वैध टिकट वाले यात्रियों की यात्रा में भी बाधा पैदा करती है। इससे न सिर्फ संसाधनों पर दबाव पड़ता है बल्कि रेलवे की आय पर भी असर पड़ता है।
कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों की समस्याएं
जब ट्रेन में बिना टिकट यात्री यात्रा करते हैं, तो कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों को अपनी सीट (seat-allocation) पर यात्रा करने में समस्या होती है। इससे उन्हें अपनी यात्रा में काफी असुविधा होती है और कई बार वे अपनी यात्रा भी नहीं कर पाते हैं।
रिफंड के प्रावधान
अगर किसी यात्री को भीड़ की वजह से अपनी ट्रेन छूट जाती है तो वह रिफंड (refund-claim) के लिए क्लेम कर सकता है। भारतीय रेलवे के नियमों के अनुसार ऐसी स्थितियों में यात्रियों को उनके टिकट का रिफंड मिल सकता है।
टीडीआर की प्रक्रिया
यदि ट्रेन भीड़ की वजह से छूट जाती है, तो यात्री अपने टिकट को रद्द कराकर टीडीआर (Ticket-Deposit-Receipt) फाइल कर सकते हैं। टीडीआर एक तरह की रसीद होती है जिसे फाइल करने की प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से की जा सकती है।
टीडीआर फाइलिंग की समय सीमा
टीडीआर फाइल करने की समय सीमा ट्रेन की टाइमिंग (train-timing) के एक घंटे के भीतर होती है। इसे सही समय पर फाइल करने पर रिफंड की राशि 60 दिन के अंदर यात्री के खाते में जमा कर दी जाती है।
आईआरसीटीसी खाते से टीडीआर फाइल करना
यात्री अपने आईआरसीटीसी अकाउंट (IRCTC-account) के जरिए लॉगिन करके टीडीआर फाइल कर सकते हैं और अपने टिकट की धनराशि वापस प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रक्रिया यात्रियों को न्याय दिलाने और उनकी वित्तीय हानि को कम करने का एक माध्यम प्रदान करती है।