Electric Car: भारत जो विश्व की तीसरी सबसे बड़ी कार मार्केट है. वह इन दिनों तेजी से इलेक्ट्रिक कारों (electric cars) की ओर अग्रसर हो रहा है. इस बदलाव की मुख्य वजह है इलेक्ट्रिक कारों का पर्यावरण के प्रति अनुकूल होना और इनका संचालन खर्च जो पारंपरिक कारों के मुकाबले काफी कम होता है. इलेक्ट्रिक कारें न केवल पेट्रोल और डीजल के विकल्प के रूप में उभरी हैं. बल्कि यह ऊर्जा की समस्या को भी सुलझाने का एक माध्यम बनती जा रही हैं.
घर पर चार्जिंग की सुविधा
घर पर चार्जिंग (home charging) की सुविधा ने इलेक्ट्रिक कारों को और भी आकर्षक बना दिया है. एक सामान्य घरेलू 32-40 एम्पियर के पावर सॉकेट के जरिए आप अपनी कार को आसानी से चार्ज कर सकते हैं. हालांकि इसके लिए उचित वायरिंग और सुरक्षा उपकरणों का होना जरूरी है ताकि किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रिकल हादसे से बचा जा सके. यह सुविधा न केवल समय की बचत करती है बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी है.
फुल चार्ज की अवधि और खर्च
औसतन एक इलेक्ट्रिक कार को पूर्ण रूप से चार्ज होने में 5 से 6 घंटे लगते हैं. यह देखते हुए कि एक घंटे की चार्जिंग में कार लगभग 2 यूनिट बिजली (electricity usage) का इस्तेमाल करती है. पूर्ण चार्ज पर यह 10 से 12 यूनिट बिजली का उपयोग करती है. इसका मतलब है कि चार्जिंग की लागत अधिक नहीं होती. जिससे ये कारें और भी आर्थिक रूप से व्यावहारिक हो जाती हैं.
बिजली बिल में वृद्धि
रोजाना चार्ज करने पर एक महीने में कार 300 से 360 यूनिट बिजली का उपभोग करती है. अगर हम भारतीय बिजली की दरों (electricity rates) को देखें, जो औसतन 7 रुपए प्रति यूनिट है, तो इस हिसाब से मासिक बिजली बिल 1050 से 2520 रुपए के बीच हो सकता है. यह बिल वाहन के प्रयोग और चार्जिंग फ्रीक्वेंसी पर निर्भर करता है.